सरकारी कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) की सेवाओं को ही अगर खासतौर से देखें तो वित्त वर्ष 2018-19 में कंपनी का घाटा 12,000 करोड़ रुपये तक जा सकता है. यह जानकारी आधिकारिक सूत्रों ने दी. बीएसएनएल के बोर्ड की बैठक फिर 16 अप्रैल को होगी, जिसमें निवेश की अन्य योजनाओं के साथ-साथ सालाना नतीजों के रुख पर भी चर्चा हो सकती है. सूत्रों ने बताया कि 4 अप्रैल को हुई बैठक में मानव संसाधन से जुड़े कुछ मुद्दों पर चर्चा हुई. उन्होंने कहा कि अगर सरकारी परियोजनाओं से हुई आय को जोड़ दिया जाए तो भी घाटे में मामूली कमी आ सकती है. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

उन्होंने कहा कि कंपनी का वित्तीय संकट फरवरी में उजागर हुआ और स्थिति और खराब हो गई. इस प्रकार घाटा बढ़कर करीब 50 फीसदी हो गया है. बीएसएनएल पिछले 13 सालों से घाटे में हैं, लेकिन घाटे के अपने आंकड़े नहीं दे रही है. आंकड़े तभी सामने आए जब मंत्री ने संसद में प्रश्नों के जवाब दिए. उस समय तक कंपनी के घाटे व संचालन की समीक्षा सार्वजनिक नहीं हुई थी. वित्तीय व दूरसंचार विशेषज्ञों को कंपनी के हालात का विश्लेषण करने के लिए प्रबंधन की ओर से विश्वसनीय जानकारी नहीं मिलती है. 

बीएसएनएल ने कहा कि यह गैर-सूचीबद्ध कंपनी है, इसलिए आंकड़े सार्वजिनक करने की अनिवार्यता नहीं है. दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने पिछले साल दिसंबर में संसद को बताया था कि बीएसएनएल का सालाना घाटा वित्त वर्ष 2017-18 में बढ़कर 7,992 करोड़ रुपये हो गया. इससे पहले 2016-17 में कंपनी का घाटा 4,786 करोड़ रुपये रहा. विश्लेषक बताते हैं कि फरवरी में बीएसएनएल में वेतन का मसला सामने आने के बाद उनके मन में कंपनी की वास्तविक वित्तीय स्थिति को लेकर कई सवाल उठे. 

ज़ी बिज़नेस वीडियो यहां देखें:

फरवरी में वेतन का मसला उजागर होने के बाद कोटक इक्विटीज ने कहा कि बीएसएनएल का कुल घाटा 90,000 करोड़ रुपये तक जा सकता है. रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2008 में अंतिम बार कंपनी को मुनाफा हुआ था, उसके बाद से कंपनी को 2009 से लेकर 2018 तक 82,000 करोड़ रुपये का संचयी घाटा हुआ है.