बीएसएनएल और एमटीएनएल के लगभग 92,678 कर्मचारियों ने वीआरएस का ऑप्शन चुना है. वीआरएस के विकल्प से कंपनी को लगभग 8800 करोड़ रुपए की बचत होने की उम्मीद है. मंगलवार को वीआर स्कीम चुनने का आखिरी दिन था. कंपनी को उम्मीद है कि वीआरएस के बाद स्थिति में सुधार आएगा. फिलहाल वित्त वर्ष 2018-19 में बीएसएनएल को लगभग 14,904 करोड़ रुपए के नुकसान हुआ. 

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कर्मचारियों ने लिया वीआरएस

बता दें कि बीएसएनएल के 78,300 और एमटीएनएल के 14,378 कर्मचारियों ने वीआरएस लिया है. वीआरएस लेने के बाद बीएसएनएल के 50 फीसदी और एमटीएनएल के 76 फीसदी कर्मचारी कम हो गए हैं. इसके साथ ही कंपनी को उम्मीद है कि आने वाले समय में कंपनी की बैलेंस शीट में सुधार आएगा. 

चेयरमैन ने दी जानकारी

एमटीएनएल के चेयरमैन और एमडी सुनील कुमार ने कहा कि कर्मचारियों की संख्या घटने से सालाना वेतन का खर्च 2,272 करोड़ रुपए से घटकर 500 करोड़ रह जाएगा. अब सिर्फ 4,430 कर्मचारी बचे हैं. इतने लोग कंपनी चलाने के लिए पर्याप्त हैं. 

अक्टूबर में कंपनी ने किया था ऐलान

देश की सरकारी कंपनी बीएसएनएल और एमटीएनएल के रिवाइवल के लिए सरकार ने अक्टूबर महीने में पैकेज का ऐलान किया था. घाटे में चल रही दोनों कंपनियों का वेतन-भत्तों का खर्च बहुत ज्यादा था. इसके तहत एमटीएनएल के बीएसएनएल में मर्जर और दोनों कंपनियों के कर्मचारियों के लिए वीआरएस योजना पेश की गई. 

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कंपनियों को हुआ घाटा

दोनों कंपनियों पर कुल 40,000 करोड़ रुपए का कर्ज है. बीएसएनएल को 2018-19 में 14,904 करोड़ रुपए का घाटा हुआ. इस दौरान एमटीएनएल 3,398 करोड़ के नुकसान में रही.