माल एवं सेवा कर (GST) अधिकारियों ने ऐसी कंपनियों से स्पष्टीकरण मांगना शुरू किया है, जिनके कर भुगतान के आंकड़े का मिलान ईवे बिल से नहीं हो पा रहा है. राजस्व अधिकारियों ने कर चोरी पर रोक लगाने के लिए आपूर्ति आंकड़ों के मिलान के क्रम में यह कदम उठाया है.

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कर चोरी पर लगाम के लिए शुरु हुआ था ई वे बिल

ई-वे बिल व्यवस्था को कर-चोरी पर रोक लगाने वाला कदम बताया गया था. 50,000 रुपये से अधिक के सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए एक अप्रैल, 2018 को यह व्यवस्था लागू की गयी थी. राज्य के भीतर सामानों की ढुलाई के लिए ई-वे बिल व्यवस्था को 15 अप्रैल, 2018 से चरणबद्ध तरीके से लागू किया गया था.

रिटर्न दाखिल करते समय चालान नहीं दिखाते

इसके बाद कर अधिकारियों के संज्ञान में आया कि कुछ ट्रांसपोर्टर एक ही ई-वे बिल पर एक-से अधिक बार माल की ढुलाई कर रहे हैं या बिक्री का रिर्टन दाखिल करते समय ई-वे बिल का चालान नहीं दिखाते हैं. साथ ही यह भी देखने को मिला कि कुछ कारोबारी आपूर्ति के बावजूद ई-वे बिल नहीं काटते हैं.

शुरू हुई जांच

सूत्रों ने बताया कि जीएसटी के लिए प्रौद्योगिकी का तंत्र उपलब्ध कराने वाली कंपनी माल एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) ने ई-वे बिल और भुगतान किये गए कर का विवरण कर अधिकारियों को देना शुरू कर दिया है ताकि कर अधिकारी किसी भी तरह की अनियमितता का पता लगा सकें.

फिलहाल नहीं आएंगे नए फार्म

माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की मासिक रिटर्न भरने के लिये सरल फार्म जारी करने की एक अप्रैल से शुरू होने वाली पायलट परियोजना को फिलहाल टाल दिया गया है. नए फार्म तभी उपलब्ध कराये जायेंगे जब उन्हें अधिसूचित कर दिया जायेगा . इन फार्मों का साफ्टवेयर भी तैयार किया जा रहा है.

ये थी योजना

GST council ने पिछले साल जुलाई में तय किया था कि GST रिटर्न भरने के लिये सरल फार्म --- सहज एवं सुगम फार्म -- को पायलट आधार पर 1 अप्रैल 2019 को जारी कर दिया जायेगा. ऐसे नए फार्म के तहत देशभर में रिटर्न भरने का काम जुलाई से शुरू करने की योजना थी. केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने पिछले साल जुलाई में जीएसटी के सरल नये रिटर्न फार्म का मसौदा जारी किया था. उस पर सभी संबद्ध पक्षों से जरूरी टिप्पणी मांगी थी.