जब भी लोन की बात होती है तो लोग क्रेडिट स्‍कोर के बेहतर होने की बात करते हैं, लेकिन DTI Ratio यानी डेट-टू-इनकम रेश्‍यो (Debt to Income Ratio) के बारे में नहीं बताते. इसका कारण है कि ज्‍यादातर लोगों को DTI Ratio की जानकारी ही नहीं होती. लेकिन लोन के मामले में इसे बहुत अहम माना जाता है. अगर आपका DTI Ratio गड़बड़ है, तो भी आपका लोन बीच में अटक सकता है क्‍योंकि इसके जरिए ही कर्ज चुकाने के लिए कस्‍टमर की क्षमता को मापा जाता है. यहां जानिए क्‍या होता है Debt to Income Ratio.

कैसे निकाला जाता है डेट-टू-इनकम रेश्‍यो

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डेट-टू-इनकम रेश्‍यो को मासिक आधार पर निकाला जाता है और इसके जरिए ये चेक किया जाता है कि कर्ज के लिए आवेदन करने वाला व्‍यक्ति कर्ज को चुकाने में सक्षम है या नहीं. डेट-टू-इनकम रेश्‍यो को चेक करने के लिए व्‍यक्ति के सभी तरह के कर्ज जैसे होम लोन, कार लोन, क्रेडिट कार्ड पेमेंट या किसी भी अन्‍य तरह का लोन जो पहले से चल रहा है, उन सबका कुल योग निकाला जाता है और उसका व्‍यक्ति की मासिक इनकम से भाग दे दिया जाता है. 

36% से कम होना चाहिए डीटीआई रेश्‍यो

इस बात को उदाहरण से ऐसे समझें- मान लीजिए आप हर महीने 80 हजार रुपए कमाते हैं. आपका एक होम लोन और एक कार लोन पहले से चल रहा है. हर महीने आपके होम लोन की किस्‍त 28 हजार और कार लोन की किस्‍त 4 हजार रुपए जाती है. यानी कुल 32 हजार रुपए आपकी इनकम से हर महीने डिडक्‍ट हो जाते हैं. इस तरह आपका डेट-इनकम अनुपात 40% होता है. डीटीआई रेश्‍यो जितना कम होगा, लोन मिलने में उतनी ही आसानी होगी. आमतौर पर 36% से कम रेश्‍यो को अच्‍छा माना जाता है. 

कैसे बेहतर करें ये रेश्‍यो

डीटीआई रेश्‍यो को बेहतर करने का तरीका है कि आप अपनी इनकम को और बेहतर करें. प्राइवेट सेक्‍टर में हैं तो आप जॉब बदलकर अपना पैकेज बेहतर कर सकते हैं या फिर पार्ट टाइम जॉब करके इनकम बढ़ा सकते हैं. इसके अलावा आप अलग से कोई बिजनेस भी करके अपनी आय को बेहतर कर सकते हैं. अगर इनकम बढ़ाने में मुश्किल है तो पहले अपनी देनदारियां चुकाएं. इसके बाद आपका डीटीआई बेहतर हो सकता है.

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