क्या होती है कार्ड क्लोनिंग? जानिए आपका ATM कार्ड कैसे हैक करते हैं हैकर्स
ATM/डेबिट कार्ड ट्रांजेक्शंस के जरिए सबसे ज्यादा फ्रॉड देखने को मिले हैं. इन फ्रॉड की वजह से पिछले 6 महीने में 129 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है.
कार्ड क्लोन! एक ऐसा टर्म जो पिछले लंबे समय से बहुत ज्यादा सुनने को मिलता रहा है. जालसाज इसके जरिए किसी डेबिट कार्ड का क्लोन बना लेते हैं. मतलब ठीक वैसा ही दिखने वाला एक डुप्लीकेट कार्ड तैयार कर लेते हैं और उसका इस्तेमाल करते हैं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2015 के बाद से अब तक कार्ड क्लोनिंग के करीब 20 हजार से ज्यादा मामले आ चुके हैं. वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रॉड के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. क्रेडिट, डेबिट कार्ड, फ्रॉड के मामलों में पिछले कुछ समय में लगातार बढ़ोतरी हुई है. अक्टूबर-दिसंबर 2019 तक में कुल 21 हजार मामले सामने आए. जनवरी से मार्च 2020 के दौरान भी आंकड़ों में कोई कमी नहीं आई.
ATM/डेबिट कार्ड ट्रांजेक्शंस के जरिए सबसे ज्यादा फ्रॉड देखने को मिले हैं. इन फ्रॉड की वजह से पिछले 6 महीने में 129 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है. क्या आपको जानते हैं कि आखिर कार्ड क्लोनिंग होती क्या है? और कार्ड क्लोनिंग के जरिए किस तरह लोगों को शिकार बनाया जाता है?
क्या है एटीएम स्किमिंग?
- डेबिट कार्ड की जानकारी की चोरी होती है.
- एक छोटी सी डिवाइस का इस्तेमाल होता है.
- इस डिवाइस को स्किमर कहते हैं.
- डिवाइस को एक कार्ड स्वैपिंग मशीन में फिट कर दिया जाता है.
- स्किमर से एटीएम ट्रांजेक्शन के दौरान कार्ड की जानकारी चुरी ली जाती है.
- कार्ड को मशीन में स्वाइप करते ही स्किमर जानकारी चुरा लेता है.
- एटीएम कार्ड स्वाइप करने वाले सिस्टम पर स्किमर बैठा देते हैं.
- जालसाज कार्ड यूजर के एटीएम पिन का पता लगाते हैं.
- एटीएम के अंदर कैमरा लगाकर या बैंक के कैमरे को हैक कर लेते हैं.
- जानकारी ऑनलाइन खरीदारी या क्लोन कार्ड बनाने के लिए करते हैं.
- डेटा को एक ब्लैंक कार्ड में कॉपी कर दिया जाता है.
- फ्रॉड ट्रांजेक्शंस को इन्हीं नकली कार्ड के जरिए किया जाता है.
- एटीएम के कीपैड में जब कोई यूज़र अपने कार्ड का पिन एंटर करता है तो ओवरले डिवाइसेज़ के जरिए कार्ड के पिन को रीड कर लिया जाता है.
- इसके बाद जालसाज इन डिटेल्स के जरिए ऑनलाइन ट्रांजेक्शन कर धोखाधड़ी को अंजाम देते हैं.
खबरों के मुताबिक, स्कीमर 7 हजार रुपए तक में मिल जाता है. कई ई-कॉमर्स वेबसाइट पर भी इसे खरीदा जा सकता है. क्लोनिंग करने वाले जालसाज बैंक का मोनोग्राम और हूबहू कार्ड तैयार नहीं कर सकते. ऐसे में ये लोग स्कीमर में कॉपी डेटा एक प्लेन कार्ड की मैग्नेटिक स्ट्रिप में कॉपी कार्ड मशीन के जरिए एक स्वाइप में ही सेव कर लेते हैं.
कार्ड क्लोनिंग
- कार्ड क्लोन करने के लिए स्कैनिंग स्लॉट वाली डिवाइस का इस्तेमाल होता है.
- मशीन दिखने में PoS मशीनों की जैसी होती है.
- जालसाज डिवाइस के जरिए ग्राहकों के क्रेडिट-डेबिट कार्ड स्वाइप करते हैं.
- क्लोन कार्ड से भी अकाउंट से लेनदेन की जा सकती है.
एटीएम स्किमिंग से कैसे बचें?
- एटीएम पिन को दर्ज करें तो उसे ढंक लें.
- मशीन पर कार्ड रीडर ढीला लगा हुआ तो इस्तेमाल न करें.
- बैंक ट्रांजेक्शन की तुरंत जानकारी SMS पर लें.
- एटीएम से रकम निकालने से पहले जांच लें कि कोई स्कीमर तो नहीं है.
- स्वैपिंग प्वाइंट के अगल-बगल हाथ लगाकर देखें. कोई वस्तु नजर आए तो सावधान हो जाएं.
- स्कीमर की डिजाइन ऐसी होती है कि वह मशीन का पार्ट लगे.
- कीपैड का एक कोना दबाएं, अगर पैड स्कीमर होगा तो एक सिरा उठ जाएगा.
- मौजूदा समय में जरूरी है कि डेबिट कार्ड का पिन बदल दें.
ज़ी बिज़नेस LIVE TV यहां देखें
क्लोनिंग से कैसे बचें?
- कार्ड को हमेशा अपनी आंखों के सामने स्वाइप कराएं.
- धोखाधड़ी होने पर तुरंत करें शिकायत.
- कस्टमर केयर को फोन करके, बैंक जाकर कार्ड को ब्लॉक कराएं.
- पुलिस में शिकायत दर्ज कराएं.
- समस्या का समाधान न होने पर आरबीआई बैंक के लोकपाल को शिकायत करें.