पेटीएम के खिलाफ दिल्‍ली हाईकोर्ट में 1 PIL दाखिल हुई है. इसमें पेटीएम पर आरोप लगाया गया है कि वह बिना नियमों का पालन किए अपनी डिजिटल पेमेंट सर्विस चला रहा है. हालांकि रिजर्व बैंक ने पेटीएम का बचाव करते हुए कहा कि PIL का इस्‍तेमाल आर्थिक फैसलों को चुनौती देने के लिए हथियार के तौर पर नहीं होना चाहिए. RBI ने हलफनामा दाखिल कर यह जवाब दिया है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दिल्‍ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने आरबीआई का जवाब आने के बाद याचिका पर सुनवाई के लिए 18 सितंबर की तारीख तय की है. 

RBI को लाइसेंस देने का हक

पेटीएम ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह याचिका पूरी तरह से गलत है. हाईकोर्ट में RBI ने अपने हलफनामे में कहा कि बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट की धारा-22 के तहत उसे अधिकार है कि वह किसी कंपनी को भारत में बैंकिंग बिजनेस शुरू करने के लिए कुछ शर्तों के साथ बैंकिंग लाइसेंस दे सकता है. 

RBI को बनाया पक्षकार

RBI ने कहा कि याचिकाकर्ता ने भले पेटीएम के खिलाफ राहत मांगी हो, लेकिन उसने मामले में आरबीआई को पहला पक्षकार बनाया है. वह अदालत को अप्रत्यक्ष तरीके से भ्रमित करना चाहता है.

क्‍या है PIL में

जनहित याचिका में कहा गया है कि पेटीएम का पोस्ट पेड वॉलेट ऑपरेशन गैरकानूनी है. याचिका के अनुसार, पेमेंट बैंकों के लाइसेंस के लिए RBI के दिशा-निर्देशों के तहत वॉलेट द्वारा क्रेडिट और उधार गतिविधि अधिकृत नहीं है.