Fixed Deposit: पॉपुलर इन्वेस्टमेंट ऑप्शन है बैंक एफडी, जानें इस पर कैसे वसूला जाता है टैक्स?
निवेश के तमाम ऑप्शंस होने के बाद भी एफडी को लोग आज भी इन्वेस्टमेंट का बेहतर जरिया मानते हैं. लेकिन एफडी पर भी टैक्स वसूला जाता है. जानिए इसके क्या हैं नियम.
पॉपुलर इन्वेस्टमेंट ऑप्शन है बैंक एफडी, जानें इस पर कैसे वसूला जाता है टैक्स?
पॉपुलर इन्वेस्टमेंट ऑप्शन है बैंक एफडी, जानें इस पर कैसे वसूला जाता है टैक्स?
फिक्स्ड डिपॉजिट निवेश का पसंदीदा जरिया माना जाता है. इसका कारण है कि एफडी को सुरक्षित निवेश माना जाता है और इसमें गारंटीड रिटर्न मिलता है. आज के समय में इन्वेस्टमेंट के कई ऑप्शन होने के बावजूद भी एक बड़ा वर्ग फिक्स्ड डिपॉजिट पर ही भरोसा करता है. लेकिन क्या आपको पता है कि एफडी से होने वाली आय पर भी आपसे टैक्स वसूला जाता है? आइए आपको बताते हैं इस बारे में.
FD पर टैक्स के क्या हैं नियम
दरअसल एफडी पर सालाना आपको जो भी ब्याज मिलता है वो आपकी एनुअल इनकम में जुड़ जाता है. अगर आपकी इनकम टैक्स के दायरे में आती हैं तो इस इनकम के जुड़ने के बाद स्लैब रेट के हिसाब से जो भी टैक्स बनता है, वो आपको चुकाना पड़ेगा. ITR फाइल करते समय एफडी के ब्याज से हुई इस आय को Income from Other Sources में शामिल किया जाता है.
एफडी पर टीडीएस काटने के भी नियम हैं. अगर एक साल में आपने FD के ब्याज से 40,000 रुपए से ज्यादा कमाया है तो बैंक ब्याज को अकाउंट में क्रेडिट करने से पहले ही आपका 10 फीसदी TDS काट लेता है. हालांकि अगर एक साल में FD से 40,000 रुपए तक कमाया तो TDS नहीं काटा जाएगा. वहीं सीनियर सिटीजन के लिए एक साल में FD से 50 हजार तक की कमाई पर TDS नहीं लगता है. इसके अलावा पैन कार्ड नहीं देने पर बैंक 20 फीसदी तक TDS काट सकता है.
एफडी के फायदे
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- एफडी पर आपको निश्चित रिटर्न मिलता है यानी आप जिस ब्याज दर के दौरान एफडी में पैसा निवेश करते हैं, मैच्योरिटी पर आपको उसी ब्याज दर के हिसाब से रकम दी जाती है. बीच में अगर बैंक ब्याज दरों में बदलाव करे तो उसका फर्क आपकी एफडी पर नहीं पड़ता. लेकिन अगर आपने फ्लोटिंग एफडी करवाई है तो ब्याज की दरें अलग-अलग हो सकती हैं.
- अगर आपने कहीं एफडी करवाई है, तो आपको इसके बदले में लोन की सुविधा मिल जाती है. इसके अलावा कई बैंकों में लोन के आधार पर ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी भी मिलती है. इसका कारण है कि एफडी की रकम बैंक के पास एक गारंटी के रूप में होती है. आपकी रकम के हिसाब से ही बैंक आपको लोन देता है. अगर आप लोन को समय से नहीं चुका पाते तो आपकी एफडी की रकम से उस लोन को कवर कर लिया जाता है.
- अगर आप 5 साल या उससे ज्यादा समय के लिए एफडी करवाते हो, तो आपको आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80सी के तहत टैक्स छूट क्लेम करने का मौका मिलता है. वहीं इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80TTB के अनुसार, सीनियर सिटीजंस को एफडी पर एक वित्त वर्ष में अर्जित होने वाले 50 हजार रुपए तक के ब्याज पर टैक्स नहीं देना होता है.
- ज्यादातर बैंक सीनियर सिटीजन को अलग-अलग टेन्योर वाले FD पर जनरल फिक्स्ड डिपॉजिट के मुकाबले 50 बेसिस प्वॉइंट यानी 0.50% ज्यादा ब्याज देते हैं. इसके अलावा कुछ बैंक 80 साल या उससे ज्यादा उम्र वाले ‘सुपर सीनियर सिटीजन्स’ को 0.25% का और अतिरिक्त ब्याज देते हैं.
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01:02 PM IST