NPA के दबाव से जूझ रहे बैंक अपनी फ्री सेवाओं जैसे ATM से कैश विड्राल, लॉकर विजिट व अन्य मुफ्त मिलने वाली सेवाओं में कटौती कर सकते हैं. दरअसल बैंकों की ओर से ये सेवाएं मुफ्त दी जाती हैं जबकि राजस्व विभाग की ओर से बैंकों से इस तरह की सेवाओं पर लगभग 40 हजार करोड़ रुपया का सर्विस टैक्स मांगा गया है. जून में राजस्व विभाग व वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले वित्त सेवा विभाग के बीच बैठक में बैंकों ने इन सेवाओं पर कर में छूट दिए जाने की मांग की थी. अंग्रेजी के बिजनेस अखबार हिंदु बिजनेस लादन की एक रिपोर्ट के अनुसार यह मामला अब प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच चुका है. इस समस्या के समाधान के लिए बैंकों व वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के बीच एक विशेष बैठक बुलाई गई है. इसी सप्ताह इस समस्या का समाधान सामने आ सकता है.

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राजस्व विभाग ने बैंकों को दिया नोटिस

गौरतलब है कि इसी वर्ष अप्रैल महीने में राजस्व विभाग की ओर से बैंकों को सेवाओं पर सर्विस टैक्स जमा और उस पर बनने वाले ब्याज को जमा करने का नोटिस दिया. ये सर्विस टैक्स उन सभी सेवाओं पर लगाया गया था जो ज्यादातर बैंक मुफ्त में दे रहे हैं. राजस्व विभाग की ओर से फ्री सेवाओं पर टैक्स न जमा करने पर बैंकों पर 12 फीसदी सर्विस टैक्स के साथ ही उस पर 18 फीसदी का ब्याज और 100 फीसदी जुर्माना लगा कर नोटिस भेज दिया गया. ये नोटिस मिलने के बाद बैंकों के संगठन ने सरकार से इस नोटिस को वापस लेने की गुहार लगाई है.

इन मुफ्त सेवाओं पर पड़ सकता है असर

बैंकों को यदि 40 हजार करोड़ का सर्विस टैक्स भरना पड़ता है तो आने वाले समय में बैंक ATM से कैश निकालने की सेवा, चेकबुक की सेवा, कैश जमा करने की सेवा, लॉकर विजिट की सेवा, महीने में खाते के रखरखा की सेवा व जन धन योजना जैसी आम लोगों के हित की सेवाओं पर शुल्क लगा सकते हैं. फिलहाल इन सेवाओं पर या तो शुल्क है ही नहीं यदि है तो बहुत नाम मात्र का है.

बैंकों को है सरकार से उम्मीद

बैंकों को उम्मीद है कि आम लोगों को बोझ से बचाने के लिए केंद्र सरकार बैंकों को इस सर्विस टैक्क्स के नोटिस से कुछ राहत पहुंचा सकती है. गौरतलब है कि जून महीने में सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि बैंकों की फ्री सेवाओं और ग्राहकों की ओर खाते में न्यूनतम बैलेंस मेंटेन करने की सेवा पर GST नहीं लगाया जाएगा.