Central Bank of India PCA framework भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के PCA (प्रॉम्‍प्‍ट कॉरेक्टिव एक्‍शन) फ्रेमवर्क के अंतर्गत आए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) को फाइनेंशियल कंडीशन में सुधार के बाद पाबंदियों से जल्द मुक्ति मिल सकती है. सूत्रों ने बताया कि बैंक ने आरबीआई को प्रजेंटेशन दिया है, जिसमें बताया गया है कि पिछली 5 तिमाहियों में उसके फाइनेंशियल स्‍टैंडर्ड में लगातार सुधार आया है. उन्होंने कहा कि आरबीआई बैंक के अनुरोध पर विचार कर रहा है और जल्द ही इस बारे में फैसला कर सकता है.

जून तिमाही में बैंक का मुनाफा बढ़ा 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (Q1FY23) में सेंट्रल बैंक का नेट प्रॉफिट 14.2 फीसदी बढ़कर 234.78 करोड़ रुपये रहा है, जो एक साल पहले जून तिमाही में 205.58 करोड़ रुपये था. समीक्षाधीन तिमाही में कंपनी की ग्रॉस एनपीए (GNPA) गिरकर ग्रॉस एडवांसेस का 14.9 फीसदी रह गईं, जो पिछले वर्ष समान तिमाही में 15.92 फीसदी थीं. नेट एनपीए भी पिछले वर्ष जून तिमाही के 5.09 फीसदी से घटकर इस जून तिमाही में 3.93 फीसदी रह गया. 

जून 2017 में PCA फ्रेमवर्क में आया बैंक 

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को नेट एनपीए बहुत ज्‍यादा होने और एसेट्स पर कम रिटर्न मिलने की वजह से जून 2017 में पीसीए फ्रेमवर्क के तहत रखा गया था. किसी भी बैंक को पीसीए के अंतर्गत खास रेगुलेटरी जरूरतों जैसेकि रिटर्न ऑन एसेट, मिनिमम कैपिटल, मैनेजमेंट  कम्‍पेनसेशन और डायरेक्‍टर्स फीस के उल्लंघन पर लाया जाता है. इंडियन ओवरसीज बैंक और यूको बैंक को पीसीए फ्रेमवर्क से सितंबर 2021 में हटाया गया था.