बैंक कस्टमर होने के नाते आपको सभी तरह के नियमों की जानकारी होनी जरूरी है. लेकिन, अक्सर देखा जाता है कि अकाउंट खुलवाते वक्त बैंक की तरफ से ऐसी जानकारियां छुपा ली जाती हैं. हालांकि, बैंक डॉक्युमेंट्स पर नियम व शर्तें लिखी होती हैं, लेकिन वे इतनी बारीक होती हैं कि कस्टमर उन्हें नहीं पढ़ते. आरबीआई के नियमानुसार बैंक की यह जिम्मेदारी होती है कि वे कस्टमर को सही और पूरी जानकारी दें. हम आपको ऐसी ही 8 बातों के बारे में, जिनको लेकर बैंक कस्टमर्स से चर्चा नहीं करते.

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आइए जानते हैं इन 8 बातों के बारे में, जो बैंक अक्सर आपसे छुपा लेते हैं-

1- लॉन्ग टाइम कस्टमर प्रिविलेज

अन्य ऑर्गेनाइजेशन की तरह बैंक में भी लॉयल और पुराने ग्राहकों को अधिक प्रिविलेज दी जाती है, लेकिन अधिकतर केस में बैंक इस तरह की कोई जानकारी अपने ग्राहकों को नहीं बताते हैं. आपको इसके बारे में खुद ही पूछना पड़ेगा. यदि बैंक से इसके बारे में बात की जाए तो वे अक्सर अपने पुराने ग्राहकों को फीस वेवर(बैंक में लगने वाले चार्ज में छूट) दे देते हैं. 

2- डेबिट कार्ड खो जाने पर आपका अकाउंट कितना सुरक्षित है?

अगर हम कार्ड के चोरी होने या खोने की बात करते हैं तो आपको बता दें कि आपके डेबिट कार्ड से अधिक सुरक्षित आपका क्रेडिट कार्ड है. कोई भी बैंक आपको इस बारे में नहीं बताएगा. अपने बैंकर से बात कर के अपने कार्ड के खोने या चोरी होने की स्थिति में सुरक्षा की जानकारी लें.

भारतीय स्टेट बैंक एक क्रेडिट कार्ड प्रोटेक्शन प्लान (CPP) देता है, जो इस तरह की परिस्थितियों में आपके लिए मददगार होता है. अपने बैंक से पता करें कि क्या उनके पास भी ऐसी कोई स्कीम है? इस तरह से आप अपने कार्ड को अधिक सुरक्षित कर सकते हैं.

3- अधिक ब्याज दर वाले अकाउंट

अक्सर बैंक कई तरह के अकाउंट ऑफर करते हैं. कुछ अकाउंट ऐसे होते हैं, जिनमें अधिक ब्याज मिलता है. ऐसे में कोई बैंक आपको उनके बारे में बताए, यह जरूरी नहीं है. बैंक में कितने तरह के अकाउंट हैं और किसमें आपको अधिक फायदा होगा. इसका पता आपको खुद ही लगाना होगा. अधिक रिटर्न कमाना चाहते हैं तो पहले पता कर लें कि किस अकाउंट पर अधिक ब्याज मिलता है. तभी पैसा इन्वेस्ट करें.

4- चेक क्लीयरेंस का समय

जब आपके अकाउंट में एक चेक जमा किया जाता है तो आपके अकाउंट में पैसे उसी समय नहीं आते, बल्कि इसमें कुछ समय लगता है. अगर चेक कहीं बाहर का है तो समय कुछ ज्यादा ही लग जाता है. चेक क्लीयरेंस का समय बैंक पर भी निर्भर करता है, लेकिन यदि चेक उसी बैंक का है तो 1 दिन में ही क्लीयर हो जाता है. यदि चेक किसी दूसरे बैंक का हो तो 2-3 वर्किंग डे लग सकते हैं.

जून 2012 को भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों के डिजिटलाइजेशन के निर्देश दिए थे ताकि चेक क्लीयरेंस तेज किया जा सके. उस समय तक किसी अन्य राज्य के चेक को क्लीयर होने में 15 दिन से 3 सप्ताह का समय लग जाता था. बस यहीं पर बैंक फायदा कमाते हैं. आपके अकाउंट में पैसे आने में जितना अधिक समय लगेगा, बैंक के लिए वह उतना ही फायदेमंद है. बैंको को यह पैसा उस समय के लिए फ्री फंड फ्लोट के तौर मिल जाता है और वे इसका फायदा कमाते हैं. ऐसा ही केस 2011 का है जब बैंकों को चेक क्लीयर करने में देरी करने से लगभग 620 करोड़ की कमाई हुई थी.

5- एटीएम ट्रांजैक्शन की हर रसीद संभाल कर रखें

एटीएम ट्रांजैक्शन की हर रसीद संभाल कर रखनी चाहिए, क्योंकि एटीएम एक ऑटोमेटेड प्रोसेस है. जिस सॉफ्टवेयर के माध्यम से यह प्रक्रिया काम करती है, वह कुछ गलतियां भी पैदा कर सकता है. इसकी वजह से कई ट्रांजैक्शन के डुप्लिकेट भी बन सकते हैं, जो आपके लिए नुकसानदेह होगा. इन सभी परेशानियों से बचने के लिए एटीएम ट्रांजैक्शन की हर रसीद को संभाल कर रखें, जिससे आपका पैसा और अधिक सुरक्षित हो सके. समय बढ़ने पर आप इन रसीदों को बैंक को दिखा भी सकते हैं.

6- लघु उद्योग लोन

यदि आप छोटे बिजनेस के लिए लोन ले रहे हैं तो आपके लोन की क्लियरेंस के चांस काफी कम हैं. बैंक छोटे बिजनेस वालों को लोन देने में काफी जांच पड़ताल करते हैं. उनकी कोशिश रहती है कि ऐसे लोगों को लोन न दिया जाए. उनका मानना होता है कि छोटे कारोबारी बैंक का पैसा लेकर भाग सकते हैं और फिर बैंक को अपने पैसे के लिए उनके चक्कर काटने होंगे.

7- हर टर्म (Term) का सही मतलब समझें

किसी भी डॉक्युमेंट के साइन करने से पहले सही से पढ़ लें. इसमें आपको ऐसे शब्द मिल सकते हैं, जिनके आपको मतलब भी न पता हों. ऐसे शब्दों की अनदेखी करने के बजाए उनका मतलब पूछें. डॉक्युमेंट को साइन करने से पहले इन शब्दों का मतलब नहीं समझने पर आपको नुकसान भी हो सकता है. हालांकि, इसमें कस्टमर और बैंक ऑफिसर का समय लग सकता है, लेकिन भविष्य में आपको ही इसका फायदा होगा.

8- करंट अकाउंट में पैसे

आम तौर पर लोग चेक बाउंस होने जैसी स्थिति से बचने के लिए कई उपाए करते हैं. कुछ लोग तो अपने करंट अकाउंट में अधिक से अधिक पैसे रखते हैं ताकि चेक बाउंस ना हो. चेक बाउंस होने के कारण पेनल्टी चुकानी पड़ती है, जिससे बचने के लिए यह सब किया जाता है. इन पैसों को आप यदि सेविंग अकाउंट में रखेंगे तो इस पर बैंक आपको ब्याज भी देगा. सिर्फ चेक बाउंस से बचने के लिए करंट अकाउंट में पैसे रखने के बजाए सेविंग अकाउंट का इस्तेमाल करें. चेक बाउंस नहीं हो इसके लिए चेक इश्यू करने से पहले ही ध्यान रखें कि अकाउंट में पर्याप्त पैसे हों.