देश की तेल मार्केटिंग कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) ने विमान ईंधन गैसोलीन का निर्यात शुरू कर दिया है. ये मानव रहित विमानों और छोटे विमानों को ऊर्जा देने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला ईंधन है. कंपनी ने एक बयान में कहा कि जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (JNPT) से विमान गैस की 80 बैरल की पहली खेप पापुआ न्यू गिनी (Papua New Guinea) के लिए भेजी गई है. भारत अब इस ईंधन के लिए अनुमानित 2.7 अरब डॉलर के वैश्विक बाजार में प्रवेश कर रहा है. इसे पहली बार आईओसी की वड़ोदरा रिफाइनरी में उत्पादित किया गया.

पिस्टन इंजन वाले विमानों को ऊर्जा देता है गैसोलीन

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इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के बयान में कहा गया है कि ये ईंधन मानव रहित विमानों और उड़ान प्रशिक्षण केंद्र द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले पिस्टन-इंजन वाले विमानों को ऊर्जा देता है. ये एक हाई-ऑक्टेन विमान ईंधन है जो बेहतर प्रदर्शन और गुणवत्ता मानकों के साथ उत्पाद विनिर्देशों को पूरा करता है और आयातित ग्रेड की तुलना में सस्ता भी पड़ता है. बताते चलें कि बड़े कमर्शियल हवाई जहाज को उड़ाने के लिए एविएशन टर्बाइन फ्यूल यानी ATF का इस्तेमाल किया जाता है.

अफ्रीका और यूरोप समेत इन जगहों से है भारी मांग

कंपनी के बयान में आईओसी के चेयरमैन एसएम वैद्य के हवाले से कहा गया है, ''इस विमान गैस का नाम एवी गैस 100 एलएल (AV Gas 100 LL) है और देश में इसके उत्पादन से न केवल विदेशी मुद्रा बचाने में मदद मिलेगी बल्कि ये नए पायलटों के लिए घरेलू उड़ान संस्थानों में ट्रेनिंग को किफायती भी बनाएगा''. उन्होंने कहा कि दक्षिण अमेरिका, एशिया प्रशांत, पश्चिम एशिया, अफ्रीका और यूरोप में इस ईंधन की भारी मांग है. वैद्य ने कहा कि इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन का लक्ष्य घरेलू मांग को पूरा करने के बाद बाजार में अपनी पहुंच को स्थापित करना है.

पीटीआई इनपुट्स के साथ