IndiGo Web Check-In: फ्लाइट से सफर करते हैं, तो आपको पता ही होगा कि फ्लाइट टिकट बुक करने के बाद आपको वेब चेक इन भी कराना होता है. हाल ही में सरकार ने एयरलाइंस को वेब चेक इन के दौरान पेड सीट बेचने को लेकर खरी-खरी सुनाई है और इस मुद्दे पर 8 नवंबर को एयरलाइंस के स्टेकहोल्डर्स की एक बैठक बुलाई है. इस बीच अपने पैसेंजर्स की शिकायत पर IndiGo ने बताया कि वेब चेक इन की सर्विस अनिवार्य नहीं है, लेकिन किसी परेशानी से बचने के लिए एयरलाइंस इसे करा लेने की सलाह देती है. 

क्या वेब चेक इन जरूरी है?

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IndiGo ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि वेब चेक-इन अनिवार्य नहीं है. हालांकि, हम अपने कस्टमर्स को बिना किसी परेशानी के सफर की सुविधा देने के लिए वेब चेक-इन करने की सलाह देते हैं. वेब चेक-इन ग्राहकों को एयरपोर्ट पर एक सहज अनुभव प्रदान करता है.

 

IndiGo ने अपनी सफाई में आगे कहा कि हमारी वेब चेक इन सर्विस पेड नहीं है. पैसेंजर्स अगर अपने पसंद की कोई सीट लेना चाहते हैं, तो ही उन्हें इसके लिए चार्ज देना होता है. पैसेंजर्स चाहें, तो मुफ्त सीटों में से भी कोई अपने लिए चुन सकते हैं या फिर ऑटो सीट असाइनमेंट का भी ऑप्शन चुना जा सकते है

इंडिगो ने क्यों दी सफाई?

दरअसल कुछ दिन पहले सरकार ने बताया कि वेब-चेक इन के जरिए एयरलाइंस की मनमानी की शिकायत लगातार सामने आ रही थी. अभी तक नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन पर एयरलाइंस की इन हरकतों को लेकर 10000 से अधिक शिकायतें आ चुकी हैं. 8 नवंबर को उपभोक्ता मामले के मंत्रालय ने एयरलाइंस और उड़ान से जुड़े सभी स्टेकहोल्डर्स की एक बैठक बुलाई है. 

उपभोक्ता मामले के सचिव रोहित सिंह ने कहा कि पैसेंजर्स के लिए वेब चेक इन फ्री होनी चाहिए और अगर एयरलाइंस ये चार्ज लगाती ही हैं, तो उन्हें अपने पैसेंजर्स को इस बारे में साफ-साफ बताना चाहिए.

क्या है वेब चेक इन का खेल?

आप जब एक फ्लाइट टिकट बुक करने जाते हैं, तो इसके दाम लगातार बदलते रहते हैं. ऐसे में लोग कई बार ये सोच कर पहले बुकिंग करा लेते हैं कि आगे इन टिकट्स के दाम और बढ़ जाएंगे. इसके बाद आपको टिकट का जो दाम बताया जाता है, टिकट उसी कीमत पर बुक नहीं होती है. एयरलाइंस आपको सहूलियत देने के नाम पर ऑनलाइन फ्री वेब चेक इन करने को कहती है. हालांकि, वेब चेक इन के दौरान अपनी पसंद की सीट सेलेक्ट करने पर आपको एक्स्ट्रा चार्ज देना पड़ता है.

इसके बाद एयरलाइंस इंश्योरेंस के नाम पर भी कुछ चार्ज और जोड़ देती है. ये पूरी तरह से पैसेंजर्स पर निर्भर करता है कि वो अपने सफर के लिए इंश्योरेंस लेना चाहते हैं या नहीं. हालांकि अगर कोई पैसेंजर ये इंश्योरेंस न लेना चाहे, तो उसे ये कहकर डराया जाता है कि इस स्थिति में किसी भी तरह की अनहोनी के लिए एयरलाइन की जिम्मेदारी नहीं होगी.