भारत में क्यों बढ़ी फ्लाइट की कीमतें, कैसे तय होते हैं दाम? एविएशन मिनिस्ट्री ने कहा- सरकार ने सभी उठाए जरूरी कदम
Flight Price in India: आखिर कैसे तय होती है भारत में फ्लाइट की कीमतें और क्यों आती है इसमें तेजी. आइए जानते हैं इस बारे में सबकुछ.
Flight Price in India: पिछले कुछ दिनों में हुई घटनाओं ने फ्लाइट की कीमतों में अचानक से तेज इजाफा देखने को मिला है. मई की शुरुआत में एयरलाइन कंपनी Go First द्वारा NCLT के पास स्वैच्छिक दिवालिया प्रक्रिया के लिए अप्लाई करने के बाद से कंपनी ने अपनी सभी शेड्यूल कमर्शियल फ्लाइट को कैंसिल कर दिया है. हालांकि, एविएशन मिनिस्ट्री ने बताया कि सरकार के हस्तक्षेप करने के बाद से फ्लाइट की कीमतों में 60 फीसदी तक की कमी आई है. ऐसे में आइए समझते हैं कि वो कौन से कारक हैं, जिनसे भारत में फ्लाइट की कीमतों पर असर पड़ता है.
ग्लोबली कैसे तय होती है टिकटों की कीमत?
डायनेमिक प्राइसिंग (Dynamic pricing) एक मूल्य निर्धारण रणनीति है, जिसमें उत्पादों या सेवाओं के लिए अत्यधिक लचीली कीमतें बाजार की मौजूदा मांगों पर आधारित होती हैं. प्रतियोगी मूल्य निर्धारण, आपूर्ति और मांग और अन्य बाहरी कारकों को ध्यान में रखते हुए एल्गोरिदम के आधार पर कीमतों में बदलाव करके व्यवसाय प्रतिस्पर्धी बने रहने में सक्षम हैं. दुनिया भर की एयरलाइंस IATA के दिशा-निर्देशों का पालन करती हैं, जिसमें विभिन्न बुकिंग वर्गों के बारे में जानकारी होती है, जिन्हें रिज़र्वेशन बुकिंग डिज़ाइनर (RBD) कहा जाता है.
किराए की बकेट में कम किराया अग्रिम बुकिंग के लिए बहुत पहले उपलब्ध है. जैसे-जैसे समय बीतता है और यात्रा की तारीख नजदीक आती है, संबंधित एयरलाइन नीति के अनुसार किराया बकेट के उच्च पक्ष में किराया उपलब्ध कराया जाता है.
ट्रैवलर्स को प्रस्थान से 90 दिन, 60 दिन, 30 दिन, 15 दिन और 7 दिन पहले टिकट बुक करने पर कम किराए की पेशकश की जाती है. वहीं, टिकट तत्काल खरीदने पर किराया अधिक हो जाता है, क्योंकि सस्ते टिकट वाली फ्लाइट्स भर जाते हैं.
वो चीजें जिससे प्रभावित होती हैं फ्लाइट टिकट की कीमतें
• सीजन
• छुट्टियां
• फेस्टिवल
• लॉन्ग वीकेंड
• इवेंट्स (स्पोर्ट, मेले, प्रतियोगिताएं आदि)
• मार्केट फोर्सेज, जैसे प्रतिस्पर्धा, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये का मूल्य, एटीएफ की कीमतें आदि.
• मार्ग पर कंपटीशन
• मार्ग की दूरी
• सीट डिमांड
क्यों बढ़ी कीमतें?
कोविड महामारी के बाद बाजारों के खुलने और इसके परिणामस्वरूप मांग में वृद्धि, वैश्विक स्तर पर ATF की कीमतों में वृद्धि, कोविड और यूक्रेन-रूस संघर्ष दोनों के कारण आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान आदि जैसे विभिन्न कारकों के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हवाई किराए स्थिर बने हुए हैं.
सरकार ने कीमतें कम करने के लिए उठाए ये कदम
एविएशन मिनिस्ट्री ने बताया कि फ्लाइट के किराए में ये इजाफा ज्यादातर उन रूट्स पर हुई है, जहां Go First अपनी सर्विस दे रही थी. ऐसे में एयरलाइन कंपनियों के साथ 5 जून, 2023 को हुई एक बैठक में उन्हें सख्ती के साथ कुछ चुनिंदा रूट्स पर किरायों को रेगुलेट करने की सलाह दी है. एविएशन रेगुलेटर DGCA खुद इस पर नजर रख रही है.
मिनिस्ट्री ने कहा कि सरकार के इस हस्तक्षेप के बाद फ्लाइट की कीमतों में 60 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली है. इसकी निगरानी खुद एविएशन मिनिस्टर डेली बेसिस पर कर रहे हैं.
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