एयरलाइन्स के डार्क पैटर्न पर उपभोक्ता मामले मंत्रालय सख्त, सभी एयरलाइंस को किया तलब, मीटिंग के बाद जारी होगी गाइडलाइन
Airlines Unfare Trade Practice: एयरलाइन्स के डार्क पैटर्न पर उपभोक्ता मामले मंत्रालय सख्ती दिखाई है. एयरलाइंस की टिकटिंग, वेब चेक, दूसरे दावे के जरिए ग्राहकों को भरमाया जाता है, इस पर आज 3 बजे बैठक होने वाली है.
Airlines Unfare Trade Practice: एयरलाइन्स के डार्क पैटर्न पर उपभोक्ता मामले मंत्रालय सख्ती दिखाई है. एयरलाइंस की टिकटिंग, वेब चेक, दूसरे दावे के जरिए ग्राहकों को भरमाया जाता है, इस पर आज 3 बजे बैठक होने वाली है. इसमें एयरलाइन टिकट के रिफंड को लेकर चर्चा की जाएगी. आज की बैठक में MakeMyTrip, EaseMyTrip, Yatra, IRCTC, समेत अन्य पोर्टल शामिल होंगे. सरकार ने बताया कि एयरलाइंस की इसी मनमानी को संज्ञान में लिया गया है. अभी तक नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन पर एयरलाइंस की इन हरकतों को लेकर 10000 से अधिक शिकायतें आ चुकी हैं.
सभी एयरलाइंस को किया तलब उपभोक्ता मामले सचिव की अध्यक्षता में CCPA अध्यक्ष की बैठक हो रही है. उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने एयरलाइंस के डार्क पैटर्न की जानकारी नागरिक उड्डयन मंत्रालय से शेयर की है. इस मीटिंग में एविएशन मंत्रालय एयरलाइंस के साथ इसकी चर्चा और जांच करेगा. मीटिंग के बाद जारी होगी गाइडलाइन इस बैठक के बाद आउटकम पर CCPA गाइडलाइन जारी करेगा. इसको लेकर आज 3 बजे बैठक होने वाली है. कई बार फ्लाइट कैंसिल या लेट होने पर एयरलाइंस कंपनियां रिफंड में आनाकानी करती है. ऐसा देखा गया है कि कई बार बुकिंग में जानबूझकर वसूली, फ्री वेब चेकिंग के दौरान सीट्स फुल दिखा कर जबरन वसूली की जाती है. इसको लेकर हमेशा शिकायत आती रहती है.
26 अक्टूबर को भी हुई थी मीटिंग
इससे पहले भी सरकार ने एयरलाइन कंपनियों के इस 'डार्क पैटर्न' पर सवाल उठाते हुए एविएशन से जुड़े स्टेकहोल्डर्स की एक बैठक बुलाई थी.
क्या है फ्री वेब चेक इन का खेल?
आप जब एक फ्लाइट टिकट बुक करने जाते हैं, तो इसके दाम लगातार बदलते रहते हैं. ऐसे में लोग कई बार ये सोच कर पहले बुकिंग करा लेते हैं कि आगे इन टिकट्स के दाम और बढ़ जाएंगे. इसके बाद आपको टिकट का जो दाम बताया जाता है, टिकट उसी कीमत पर बुक नहीं होती है. एयरलाइंस आपको सहूलियत देने के नाम पर ऑनलाइन फ्री वेब चेक इन करने को कहती है. हालांकि, वेब चेक इन के दौरान अपनी पसंद की सीट सेलेक्ट करने पर आपको एक्स्ट्रा चार्ज देना पड़ता है.
कैसे जेब काटती हैं एयरलाइंस?
इसके बाद एयरलाइंस इंश्योरेंस के नाम पर भी कुछ चार्ज और जोड़ देती है. ये पूरी तरह से पैसेंजर्स पर निर्भर करता है कि वो अपने सफर के लिए इंश्योरेंस लेना चाहते हैं या नहीं. हालांकि अगर कोई पैसेंजर ये इंश्योरेंस न लेना चाहे, तो उसे ये कहकर डराया जाता है कि इस स्थिति में किसी भी तरह की अनहोनी के लिए एयरलाइन की जिम्मेदारी नहीं होगी.