नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा है कि विमान ईंधन (एटीएफ) को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाया जाना चाहिये. उन्होंने कहा कि इससे घरेलू विमानन उद्योग को कारोबार के समान अवसर उपलब्ध होंगे.

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इनपुट लागत प्रतिस्पर्धी होनी चाहिए

प्रभु ने कहा कि किसी भी क्षेत्र के लिये इनपुट लागत प्रतिस्पर्धी होनी चाहिये. उन्होंने एटीएफ को जीएसटी के दायरे में लाने की वकालत करते हुए कहा कि राज्यों में कर की अलग दरों के कारण एटीएफ का दाम अधिक हो जाता है.

हर राज्य में है अलग कर

प्रभु ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘हर राज्य में अलग कर है. इसके कारण विमानन कंपनियों के लिये ईंधन का खर्च पूरी तरह से बदल जाता है. मुझे लगता है कि इसे खत्म किया जाना चाहिये. मुझे उम्मीद है कि जीएसटी परिषद इस पर गौर करेगी और हम इसे लगातार परिषद के सामने रख रहे हैं.’’

जीएसटी के दायरे में लाने की वकालत

उन्होंने कहा, ‘‘हम एटीएफ को जीएसटी के दायरे में लाने के लिये लगातार काम करते रहेंगे ताकि घरेलू कंपनियों को कारोबार के समान अवसर उपलब्ध हो सकें तथा विमानन ईंधन की कीमत का पहले से अंदाज लगाना संभव हो सके.’’ उल्लेखनीय है कि विमानन कंपनियां लंबे समय से एटीएफ को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग कर रही हैं.

हेस्तक्षेप से किया था इनकार

गौरतलब है कि सिविल एविएशन मंत्री सुरेश प्रभु ने कैश संकट से जूझ रही एयरलाइंस जेट एयरवेज की मदद के लिए किसी हस्तक्षेप से इनकार कर दिया था. प्रभु ने कहा था कि ऐसा नहीं लगना चाहिए कि सरकार किसी एयरलाइंस कंपनी की मदद कर रही है. सुरेश प्रभु ने कहा, 'मंत्रालय को किसी तरह के वाणिज्यिक लेनदेन में शामिल नहीं होना चाहिए. हालांकि प्रभु ने कहा था कि देश में एक अच्छा प्रतिस्पर्धी माहौल होना चाहिए जिससे कंपनियों को काम करने में मदद मिलेगी और विमानन उद्योग तेजी से विकास करेगा.

सरकार कदम उठा रही है

प्रभु ने कहा कि सरकार विमानन उद्योग जगत की परिस्थितियों पर लगातार नजर रख रही है. विमानन क्षेत्र में वृद्धि के लिये सरकार की ओर से खास तौर पर कदम उठाए जा रहे हैं.’’ प्रभु ने कहा कि विमानन उद्योग एक गतिमान क्षेत्र है जिसके लिये वैश्विक एवं घरेलू जरूरतों के अनुसार तालमेल की लगातार जरूरत होती है. उन्होंने कहा, ‘‘उद्योग जगत की मदद करना हमारे प्रयासों में शामिल रहा है. हालांकि, हम विमानन कंपनियों के दैनिक परिचालन में दखल नहीं दे सकते हैं.’’