IATA की चीफ इकोनॉमिस्ट मैरी ओवेन्स थॉमसन ने कहा है कि एयरलाइन कंपनियां कीमतें तय नहीं करती हैं, क्योंकि वे जो कीमत चुकाती हैं, उसपर उनका कोई बस नहीं होता. उन्होंने इस बात का जिक्र भी किया कि एयरलाइंस के लिए कम लाभ मार्जिन और कमजोर बही-खातों के कारण राजस्व में विविधता लाने की जरूरत एक जटिल मुद्दा है. 

किफायती हवाई टिकट की मांग

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भारत जैसे तेजी से बढ़ते एविएशन सेक्टर में हवाई यात्रा के किराये को लेकर लगातार चिंताएं जताई जाती हैं और हवाई टिकट को अधिक किफायती बनाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों से सुझाव मिल रहे हैं. 

एयरलाइन कंपनियों के बस में नहीं कीमतें

थॉमसन ने कुल हवाई किराये और एयरलाइन कंपनियों की लागत पर चर्चा करते हुए कहा कि एयरलाइंस का उनके द्वारा चुकाई जाने वाली कीमतों पर कोई बस नहीं होता है. 

उन्होंने कहा, "विमान विनिर्माता और तेल कंपनियां बहुत कम हैं. हम जो भी आपूर्ति देख रहे हैं, उनकी कीमतों पर हमारा कोई बस नहीं है. नीचे की ओर हमारे पास अत्यधिक प्रतिस्पर्धी माहौल है, जहां सभी ग्राहक हर समय सभी एयरलाइंस के किराये देख सकते हैं. इसलिए, हम हमेशा कीमत में प्रतिस्पर्धा करते हैं."

मुनाफे की गुंजाइश कम 

उन्होंने इस सप्ताह की शुरुआत में जिनेवा में बताया कि चूंकि एयरलाइंस को आपूर्तिकर्ताओं और ग्राहकों, दोनों तरफ बेहतर मूल्य की पेशकश करनी होती है, इसलिए उनके पास बीच में मुनाफे की बहुत कम गुंजाइश बचती है. 

अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ (IATA) के नवंबर में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है कि पिछले एक दशक में हवाई किराये, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की तुलना में धीमी गति से बढ़े हैं.