नई दिल्ली : वाहन कंपनियों का शीर्ष संगठन सियाम ने गुरूवार को सरकार से देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिये दीर्घकालीन नीति लाने को कहा. उसने कहा कि इस प्रकार की नीति के न होने से उद्योग भविष्य के लिए निवेश योजनाएं सही तरीके से नहीं बना पाता. वाहन उद्योग संगठन ने इस खंड की वास्तविक संभावना को हकीकत रूप देने के लिए कम कर की भी मांग की. सोसाइटी आफ इंडियन आटोमोबाइल मैनुफैक्चरर्स (सियाम) के सालाना सम्मेलन को संबोधित करते हुए निवर्तमान अध्यक्ष अभय फिरोदिया ने सरकार के इलेक्ट्रिक वाहन नीति बनाने से दूर रहने के निर्णय पर अफसोस जताया.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

2030 तक बिजली से कैसे चलेंगे 40% वाहन

फिरोदिया ने कहा, 'अप्रत्याशित रूप से देश में बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को आगे बढ़ाने की घोषणा के बाद सरकार ने यह कहा कि वह ईवी को बढ़ावा देने के लिए औपचारिक रूप से कोई नीति जारी नहीं करेगी लेकिन इसके प्रसार के लिए विशेष कदम उठाए जाएंगे.' उन्होंने कहा कि सरकार के अनुरोध पर सियाम ने '2030 तक 40 प्रतिशत वाहन बिजली से चलाने और 2047 तक 100 प्रतिशत वाहनों को इसके दायरे में लाने के लिए नीति का प्रस्ताव किया है.' फिरोदिया ने कहा, 'सरकार दीर्घकालीन दृष्टिकोण नहीं रख रही है और यह बात इस उद्योग के लिए मददगार नहीं है. स्पष्ट उद्देश्य रखने से उद्योग को भविष्य के निवेश की योजनाएं बनाने में मदद मिलती.'

जीएसटी लगने से भी दिक्‍कतें बढ़ीं

उन्होंने कहा कि ईवी के लिए बुनियादी ढांचा और एक पूरे ढांचे की जरूरत है. माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के बारे में फिरोदिया ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण क्षण था और वाहन उद्योग लंबे समय से इसे सकारात्मक रूप से ले रहा था. उन्होंने कहा, '28 प्रतिशत जीएसटी दर के साथ 15 प्रतिशत उपकर उद्योग की उम्मीद के अनुरूप था और वाहन उद्योग ने इसका स्वागत किया. हालांकि जल्दी ही यात्री वाहनों पर जीएसटी को पिछले साल सितंबर में बढ़ा दिया गया और यह उसी स्तर पर आ गया जो जीएसटी लागू होने से पहले था.'

इससे वाहन उद्योग के भरोसे को झटका लगा. फिरोदिया ने कहा, 'उद्योग स्थिर नीति की मांग करता रहा है और ग्राहकों की इस मन: स्थिति में बदलाव का आकांक्षी रहा है कि वाहनों को लग्जरी सामान नहीं समझा जाए....' उन्होंने कहा, 'अगर नीतियों के माध्यम से क्षेत्र की वृद्धि के लिए अनुकूल व्यवस्था बने तो उद्योग के आगे बढ़ने की काफी क्षमता है.' फिरोदिया ने कहा कि भारत में अन्य देशों की तुलना में लोगों तक वाहनों की पहुंच कम है. उन्होंने यह भी कहा कि उद्योग बीएस-6 उत्सर्जन मानकों को पूरा करने के लिए करीब एक लाख करोड़ रुपये निवेश करने की प्रक्रिया में है. इस बीच, वाहन उद्योग की मांग के बारे में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि बदलाव के लिए सभी पक्षों की सहमति वाली योजना की जरूरत है ताकि उद्योग में ज्यादा उठापटक न हो.