मौजूदा समय में भारत का पैसेंजर कार बाजार दुनिया में तीसरे स्थान पर है. अमेरिका और चीन के बाद भारत इस सेगमेंट में तीसरे नंबर पर आता है. भारत में लगातार कार बाजार का साइज बढ़ता जा रहा है. आए दिन नए-नए लॉन्च हो रहे हैं और लोगों की तरफ से काफी अच्छा रिस्पॉन्स भी मिल रहा है. हालांकि सितंबर में पैसेंजर कार सेल्स थोड़ी गिरी है लेकिन फेस्टिव सीजन में कार सेल्स के बढ़ने और ज्यादा कार बिक्री की उम्मीद है. लेकिन आपने एक बात जरूर नोटिस करी होगी कि कार मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां हर कलर की कार तैयार करती हैं लेकिन एक विशेष कलर है, जो ना तो आम लोगों के लिए बिकता है और ना ही आफ्टर मार्केट इसका कलर किया जा सकता है. 

Olive Green कलर पर बैन

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Olive Green वो कलर है, जिसे कार कंपनियां नहीं बेचती हैं. ये कलर सिर्फ आर्मी ऑफिसर या फिर डिफेंस के लिए ही डेडिकेटेड है. सेंट्रल मोटर व्हीकल्स एक्ट 1989 के नियम 121 (1) के मुताबिक, किसी भी प्राइवेट व्हीकल्स को ऑलिव ग्रीन कलर के साथ नहीं बेच सकते. 

इस नियम में ये बताया गया है कि ये कलर खासतौर पर आर्म्ड फोर्सेस या फिर डिफेंस पर्सनेल के लिए ही इस्तेमाल किया जाता है. आर्मी और डिफेंस की कार ही ऑलिव ग्रीन (Olive Green) कलर में बनती है और ये कलर इन्हीं के लिए तैयार किया जाता है. 

अगर नियम तोड़ा तो क्या होगा?

केंद्रीय मोटर व्हीकल एक्ट में ये भी बताया गया है कि प्राइवेट व्हीकल्स को ये कलर इस्तेमाल नहीं करना है. अगर किसी ने इस नियम का उल्लंघन किया तो भारी पेनाल्टी का सामना करना पड़ सकता है. ये कलर डिफेंस और मिलिट्री के लिए इसलिए दिया गया है ताकि उनकी पहचान आसानी से की जा सके. 

कार मैन्युफैक्चर्र भी इस कलर की कार को नहीं बनाते हैं और रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस इस कलर की कार को चलने की अनुमति नहीं देते.  हालांकि ग्रीन कलर के दूसरे शेड्स को अनुमति है लेकिन सिविलियन यूज के लिए स्पेसिफिक मिलिट्री ऑलिव ग्रीन का कलर इस्तेमाल नहीं होता है. 

Army Fleet में ये गाड़ियां

बता दें कि भारतीय सेना के पास Olive Green कलर की कार रहती हैं. मौजूदा समय में आर्मी फ्लीट में Tata Safari और Maruti Suzuki Gypsy जैसी गाड़ियां शामिल हैं. इसके अलावा Toyota Hilux, Maruti Jimny और Mahindra Scorpio जैसी कार भी इस फ्लीट का एक हिस्सा है.