देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार नई योजना ला रही है, जिससे आम आदमी जुड़कर अपनी आमदनी बढ़ा सकता है. इसके तहत सरकार बहुत जल्द इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग के लिए बुनियादी संरचना नीति पेश करेगी. इसमें आम लोगों को वाणिज्यिक उपयोग के लिए चार्जिंग स्टेशन बनाने की अनुमति देने की भी उम्‍मीद है. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार बिजली, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने बताया कि हमने अन्य विभागों और मंत्रालयों के मशविरे के लिए ई-वाहन चार्जिंग नीति को उनके साथ साझा किया है. नीति में कहा गया है कि हर व्यक्ति ई-वाहन चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए स्वतंत्र है.'

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क्‍या हो सकता है प्रति यूनिट चार्ज

ऊर्जा मंत्रालय का कहना है कि इलेक्ट्रिक वाहन की चार्जिंग एक सेवा है. इसके लिए किसी लाइसेंस की जरूरत नहीं है. लाइसेंस की शर्त न रखने से इलेक्ट्रिक वाहन को बढ़ावा मिलेगा. हालांकि इलेक्ट्रिसिटी एक्‍ट के तहत बिजली के ट्रांसमिशन, डिस्ट्रिब्‍यूशन और ट्रेडिंग के लिए लाइसेंस अनिवार्य है. लेकिन सरकार नई नीति में चार्जिंग स्‍टेशन को इससे छूट दे सकती है. मंत्रालय का तर्क है कि चार्जिंग स्‍टेशन का मतलब बिजली के ट्रांसमिशन, डिस्ट्रिब्‍यूशन या टेडिंग से नहीं है. एक अधिकारी ने कहा कि नई नीति में चार्जिंग का टैरिफ 6 रुपए प्रति यूनिट से कम होगा.

कितना खर्च आता है ई-रिक्‍शा पर

ई-रिक्‍शा या इलेक्ट्रिक वाहन की प्रति किलोमीटर रनिंग कॉस्‍ट 1 रुपए से भी कम है. जबकि, पेट्रोल या डीजल से चलने वाले वाहन का प्रति किमी खर्च 6.50 रुपए के आसपास बैठता है.

लाइसेंस की नहीं पड़ेगी जरूरत

इंटरनेशनल सिंपोजियम प्रमोट इनोवेशन एंड रिसर्च इन एनर्जी एफिशिएंसी (इंस्पायर) में किसी व्यक्ति के इस सुविधा (चार्जिंग स्टेशन) का वाणिज्यिक तौर पर इस्तेमाल करने के सवाल पर सिंह ने कहा, 'बिलकुल, इसके लिए किसी लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी.'

 

2030 तक ई-वाहनों के व्‍यापक इस्‍तेमाल का है लक्ष्‍य

देश में ई-वाहनों को आगे बढ़ाने के लिए चार्जिंग से जुड़े बुनियादी विकास की जरूरत है. सरकार 2030 तक देश में ई-वाहनों के व्यापक इस्तेमाल के लक्ष्य को लेकर चल रही है. इसका एक मकसद कार्बन उत्सर्जन घटाकर उसे 2005 के एक तिहाई स्तर पर लेकर आना है. 

पवन और सौर ऊर्जा के 1,200 मेगावाट के विस्तार के लिए नीलामी के बारे में उन्होंने कहा, 'इसके लिए बिजली की दर सीमा को बढ़ाकर 2.70 रुपये प्रति यूनिट कर दिया गया है. हम इसका विस्तार कर रहे हैं इसलिए हमने इसकी अधिकतम दर को बढ़ा दिया है.' इसके लिए नीलामी 26 अक्टूबर को होनी थी जिसे अब 14 नवंबर तक टाल दिया गया है. पहले इसके लिए बिजली की अधिकतम दर 2.6 रुपये प्रति यूनिट थी. 

इसी बीच 10,000 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना की नीलामी के लिए बोलियां जमा कराने की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 19 नवंबर कर दिया गया है. इसके लिए 3,000 मेगावाट के विनिर्माण उपकरणों की नीलामी के लिए बोलियां जमा कराने की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 12 नवंबर किया गया है.