देश में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) की लागत दर कम करने के लिए देश की नवरत्‍न कंपनी भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्‍स लिमिटेड (BHEL) ने कदम आगे बढ़ाया है. भेल एक अमेरिकी कंपनी के साथ मिलकर संयुक्‍त उद्यम लगाएगी, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सबसे उपयोगी लिथियम ऑयन बैटरी का निर्माण देश में ही हो सकेगा. भेल ने इसके लिए अमेरिकी कंपनी से बातचीत शुरू कर दी है. जानकारों का मानना है कि भेल के ऐसा करने से लिथियम ऑयन बैटरी के दाम नीचे आएंगे, जिसका असर इलेक्ट्रिक वाहनों की ऊंची कीमतों पर पड़ेगा. फिलवक्‍त लिथियम ऑयन बैटरी की जरूरत आयात से पूरी होती है. भारत इसका 100% आयात करता है.

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लिथियम ऑयन बैटरी का सबसे ज्‍यादा चीन से आयात

भारी उद्योग मंत्री अनंत गीते की मानें तो इन बैटरी के स्‍वदेशी उत्‍पादन से लागत में कमी आएगी. भेल इसी मंत्रालय के अधीन आती है. लिथियम ऑयन बैटरी का सबसे ज्‍यादा चीन से आयात होता है. गीते ने कहा कि भारी उद्योग मंत्रालय वित्‍त मंत्रालय से बातचीत कर रहा है. उसने यह भी सिफारिश की है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के पार्ट्स पर कस्‍टम ड्यूटी घटा दी जाए. अब वित्‍त मंत्रालय को इस बारे में फैसला लेना है.

इलेक्ट्रिक वाहनों के पार्ट्स पर इम्‍पोर्ट टैरिफ लगता है

इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक इलेक्ट्रिक वाहनों के पार्ट्स पर इम्‍पोर्ट टैरिफ लगता है. उन्‍हें इससे छूट नहीं है. देश में इन वाहनों का निर्माण बढ़ाने के लिए इसके पार्ट्स पर रियायत देना जरूरी है. मंत्रालय ने सेमी नॉकड डाउन और कम्‍पलीटली नॉकड डाउन किट के इस्‍तेमाल की भी सिफारिश की है. इसके लिए कस्‍टम ड्यूटी में कमी करने का अनुरोध किया गया है.

क्‍या है मौजूदा व्‍यवस्‍था

ऑटो कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहन बनाने के लिए जो बैटरी, कंट्रोलर, चार्जर, कन्‍वर्टर, एनर्जी मॉनीटर, इलेक्ट्रिक कम्‍प्रेसर और मोटर मंगाती हैं, उन पर कस्‍टम ड्यूटी नहीं लगती है. लेकिन मेटल और प्‍लास्टिक पर 28 फीसदी कस्‍टम ड्यूटी लगती है. अन्‍य देशों की तरह भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण पर जोर दिया जा रहा है. अभी लिथियम ऑयन बैटरी के सेल चीन से आयात होते हैं. भेल के इसके स्‍वदेशी निर्माण शुरू करने से इनकी कीमतों पर असर पड़ेगा.