2030 तक EV के लिए 49% ज्यादा पैसा देने को तैयार होंगे लोग; स्टडी में सामने आई बात
साल 2030 तक ज्यादातर लोग न्यू एनर्जी व्हीकल (NEV) को एकमात्र विकल्प के रूप में स्वीकार करने को तैयार हैं. इसका मतलब ये हुआ कि 2030 तक ज्यादातर लोग इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने के पक्ष में रहेंगे.
इलेक्ट्रिक कार खरीदनी है या नहीं, इस पर अभी भी लोगों को कई सारे कंफ्यूजन है. इलेक्ट्रिक कार को ना खरीदने का सबसे बड़ा कारण Range Anxiety तो रहती है. रेंज और कम चार्जिंग स्टेशन की वजह से अभी भी लोग इलेक्ट्रिक व्हीकल (Electric Vehicle) को कम खरीद रहे हैं. लेकिन एक सर्वे सामने आया है. सर्वे में बताया गया है कि साल 2030 तक ज्यादातर लोग न्यू एनर्जी व्हीकल (NEV) को एकमात्र विकल्प के रूप में स्वीकार करने को तैयार हैं. इसका मतलब ये हुआ कि 2030 तक ज्यादातर लोग इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने के पक्ष में रहेंगे. हालांकि मौजूदा समय में इलेक्ट्रिक व्हीकल को खरीदना उतना फ्लेक्सिबल नहीं हुआ है लेकिन आने वाले साल में ईवी खरीदना आसान हो सकता है.
49% ज्यादा खर्च करने को तैयार
नई कार खरीदने वाले अधिकांश लोग साल 2030 तक न्यू एनर्जी व्हीकल (इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन आदि) को ही एकमात्र विकल्प के रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार हैं. हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है. अर्बन साइंस और द हैरिस पोल के एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि खरीदार एक इलेक्ट्रिक वाहन के लिए पेट्रोल/डीजल वाहन की लागत से 49 प्रतिशत अधिक खर्च करने को तैयार होंगे.
इन देशों के लोग सर्वे में शामिल
वैश्विक सर्वेक्षण में शामिल 1,000 संभावित भारतीय खरीदारों में से लगभग 83 प्रतिशत ने कहा कि वे इस दशक के अंत तक नई इलेक्ट्रिक कार खरीदने पर विचार करेंगे. अर्बन साइंस की ओर से द हैरिस पोल द्वारा ऑनलाइन किए गए सर्वेक्षण में भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, चीन और जर्मनी सहित विभिन्न बाजारों से प्रतिक्रियाएं मिलीं.
6000 से ज्यादा चार्जिंग स्टेशन
वर्तमान में भारत में प्रमुख शहरों और राजमार्गों पर 6,000 से अधिक चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध हैं. यह संख्या 2027 तक बढ़कर एक लाख से अधिक हो सकती है. सर्वेक्षण से पता चला है कि सकारात्मक दृष्टिकोण ईवी खंड के लिए सरकार की सक्रिय नीतिगत पहल के कारण भी है. इसमें कहा गया है कि भारत को ईवी क्षेत्र में उन्नत प्रौद्योगिकी और उत्पादन पैमाने तक पहुंच बनानी चाहिए, जिसमें चीन ने महारत हासिल की है.
भारत में ईवी को लेकर अभी भी चुनौती
सर्वेक्षण के अनुसार, अवसर बढ़ रहे हैं लेकिन भारत के ईवी अभियान को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, खासकर जब इस क्षेत्र में चीन के दबदबे से तुलना की जाती है. सर्वेक्षण के निष्कर्षों से पता चला है कि चीन लिथियम-आयन बैटरी, इलेक्ट्रिक मोटर के उत्पादन और इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्बाध संचालन के लिए महत्वपूर्ण कलपुर्जों और चार्जिंग बुनियादी ढांचे की स्थापना में अग्रणी है. इसमें कहा गया है कि इस विशेषज्ञता का लाभ उठाए बिना भारत की ईवी महत्वाकांक्षाओं को प्रासंगिक बनाए रखने में मुश्किल आ सकती है.