घरेलू और विदेशी कंपनियां अगले छह वर्षों में भारत के इलेक्ट्रिक वाहन (Electric Vehicles) और एंशिलियरी इंडस्ट्रीज में 3.4 लाख करोड़ रुपए के भारी निवेश की घोषणा कर चुकी हैं. बुधवार को एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. रियल एस्टेट सलाहकार कोलियर्स इंडिया (Colliers India) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ईवी की स्वीकार्यता की रफ्तार तेजी नहीं पकड़ पाई है और वर्ष 2030 तक ईवी की संख्या 30 फीसदी करने के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में प्रगति सुस्त रही है. हालांकि, इस प्लान्ड इन्वेस्टमेंट के कारण रियल एस्टेट में तमाम संभावनाएं बन रही हैं.

वर्तमान में केवल 8% वाहन इलेक्ट्रिक हैं

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भारत में ईवी: इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में नया जोश (EVs in India: Renewed Vigour in Electric Mobility) शीर्षक वाली रिपोर्ट कहती है कि भारत में कुल वाहनों में इलेक्ट्रिक व्हीकल का अनुपात फिलहाल आठ फीसदी है. इसने वर्ष 2024 में लगभग 20 लाख ईवी की बिक्री का अनुमान भी लगाया है. कोलियर्स इंडिया ने कहा कि भारत ने 2030 तक सड़कों पर आठ करोड़ ईवी के साथ 30 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहनों की मौजूदगी का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है. लेकिन बिक्री की मात्रा में लगातार वृद्धि और केंद्रित सरकारी प्रयासों के बावजूद अबतक प्रगति की रफ्तार सुस्त रही है.

2030 तक 3.4 लाख करोड़ के इन्वेस्टमेंट का ऐलान

रिपोर्ट के मुताबिक, ईवी परिदृश्य में अलग-अलग कंपनियों ने वर्ष 2030 तक चरणबद्ध तरीके से 40 अरब डॉलर (करीब 3,40,000 करोड़ रुपए) के संभावित निवेश की घोषणा की है. इसमें से 27 अरब डॉलर लिथियम-आयन बैटरी के विनिर्माण और नौ अरब डॉलर मूल उपकरण एवं ईवी विनिर्माण पर निवेश करने की योजना है. सलाहकार फर्म ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की दर तिपहिया वाहनों (खासकर ई-रिक्शा) में सबसे अधिक है क्योंकि इनसे परिचालन लागत में काफी कमी आ जाती है.

2024 में 20 लाख EV बिकने की उम्मीद

रिपोर्ट में दोपहिया और चार-पहिया वाहनों सहित व्यक्तिगत वाहनों में भी ईवी के इस्तेमाल की दर बढ़ाने के लिए घरेलू विनिर्माण पर अधिक जोर देने की बात कही गई है. कोलियर्स ने कहा, ‘‘धीमी प्रगति और 2024 में अनुमानित 20 लाख वार्षिक इलेक्ट्रिक व्हीकव बिक्री को देखते हुए इसकी संभावना कम ही दिख रही है कि हम 2025-2030 तक औसत वार्षिक बिक्री में कुल मिलाकर छह गुना वृद्धि देख सकें.’’