केंद्र सरकार की ओर से जल्‍द ही एक ऐसा ऐलान होने वाला है, जिससे आपकी कार चलाने का  खर्च लगभग आधा रह जाएगा. वैकल्पिक फ्यूल (एथनॉल) के इस्‍तेमाल से ऐसा मुमकिन होगा. रोड ट्रांसपोर्ट मिनिस्‍टर नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कहा है कि अगले करीब 10 दिन में फ्लेक्‍स फ्यूल इंजन  (flex-fuel engines) पर बड़ा ऐलान करने वाले हैं. इस तरह के इंजन ऑटोमोबााइल इंडस्‍ट्री के लिए अनिवार्य बनाए जाएंगे. फ्लेक्स फ्यूल का मतलब है Flexible Fuel, यानी ऐसा ईंधन जो पेट्रोल की जगह एथनॉल (ethanol) पर भी फर्राटा भर सके. गडकरी का कहना है कि इस वैकल्पिक ईंधन की कीमत 60-62 रुपये प्रति लीटर होगी, जबकि पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर से भी ज्यादा है. इसलिए एथनॉल के इस्तेमाल से कार चलाना 40 फीसदी तक सस्‍ता हो जाएगा. यानी करीब, 35 रुपये/लीटर तक की बचत होगी. 

flex-fuel engines होगा अनिवार्य 

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केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक इवेंट में कहा, "मैं ट्रांसपोर्ट मिनिस्‍टर हूं, मैं इंडस्ट्री को एक आदेश जारी करने जा रहा हूं कि केवल पेट्रोल इंजन नहीं होंगे, फ्लेक्स-फ्यूल इंजन भी होंगे, जहां लोगों के लिए विकल्प होगा कि वे 100 फीसदी क्रूड का इस्‍तेमाल करे या फिर 100 फीसदी एथनॉल का इस्‍तेमाल कर सके. मैं अगले 8-10 दिन में फैसला लेने जा रहे हैं, हम फ्लेक्स फ्यूल इंजन को ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए अनिवार्य बनाने जा रहे हैं.''

गडकरी ने बताया कि ब्राजील, कनाडा और अमेरिका में ऑटोमोबाइल कंपनियां फ्लेक्स फ्यूल इंजन का प्रोडक्‍शन कर रहे हैं. इन देशों में ग्राहकों को 100 फीसदी पेट्रोल या 100 फीसदी बायो एथनॉल की विकल्प मुहैया करवाया जा रहा है. अभी प्रति लीटर पेट्रोल में 8.5 फीसदी एथनॉल ब्‍लेंडिंग की मंजूरी है. 2014 में 1 से 1.5 फीसदी था. एथनॉल की खरीदारी भी 38 करोड़ लीटर से बढ़कर 320 करोड़ लीटर पहुंच गई है. 

हाल ही में, पीएम मोदी ने कहा था कि पॉल्‍यूशन में कटौती और इंपोर्ट पर निर्भरता को कम करने के लिए पेट्रोल के साथ 20 फीसदी एथनॉल ब्लेंडिंग को हासिल करने का लक्ष्य 2025 कर दिया गया है. सरकार ने पिछले साल 2022 तक पेट्रोल में 10 फीसदी एथनॉल ब्लेंडिंग और 2030 तक 20 फीसदी डोपिंग करने का लक्ष्य रखा था. 

पेट्रोल से बेहतर है Ethanol फ्यूल

केंद्रीय मंत्री गडकरी का कहना है कि एथनॉल, पेट्रोल से कहीं बेहतर बेहतर ईंधन है और यह कम लागत वाला, पॉल्‍यूशन फ्री और स्वेदशी है. यह भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाला कदम है क्योंकि हमारे देश में मक्‍का, चीनी और गेहूं सरप्लस है. इनको खाद्यान्नों में रखने के लिए हमारे पास जगह नहीं है. यह देखते हुए कि खाद्यान्न का सरप्लस समस्या पैदा कर रहा है, हमारी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) अंतरराष्ट्रीय कीमतों और घरेलू बाजार की कीमतों से अधिक है, इसलिए सरकार ने फैसला किया है कि खाद्यान्न और गन्ने का इस्‍तेमाल करके एथनॉल का जूस बना सकते हैं. 

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