वाशिंगटन : अमेरिका ने सोमवार को ईरान पर 'अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंध' लगा दिए हैं. तेल से समृद्ध ईरान में इसे लेकर पहले से ही बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने 2015 के परमाणु समझौते के तहत ईरान पर से हटाए गए सभी प्रतिबंधों को बहाल कर दिया. इसमें ईरान और उसके साथ व्यापार करने वाले देश निशाना बने हैं. प्रतिबंध सूची में 700 से अधिक व्यक्तियों, संस्थाओं, जहाजों और विमानों सहित प्रमुख बैंकों, तेल निर्यातकों और शिपिंग कंपनियों को शामिल किया गया है.

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अमेरिका ने कहा है कि वह साइबर हमलों, बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षणों और मध्य पूर्व में आतंकवादी समूहों और मिलिशिया के लिए समर्थन सहित तेहरान की सभी 'हानिकारक' गतिविधियों को रोकना चाहता है. अमेरिका ने आठ देशों को फिलहाल ईरान से तेल के आयात की मंजूरी दी है. इनके नाम नहीं बताए गए हैं लेकिन इनमें भारत, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे अमेरिकी सहयोगियों के शामिल होने की बात कही जा रही है.

ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने अपने देश के तेल को बेचने और प्रतिबंधों को तोड़ने का संकल्प लिया है. ईरान की सेना ने कहा है कि देश की क्षमताओं को साबित करने के लिए सोमवार और मंगलवार को वायु रक्षा अभ्यास आयोजित किया जाएगा. अमेरिकी मध्यावधि चुनावों के लिए एक अभियान रैली के लिए रवाना होने से पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि ईरान पहले से ही उनके प्रशासन की नीतियों के कारण दिक्कतों से जूझ रहा है.

ट्रंप ने कहा कि ईरान पर लगे प्रतिबंध बहुत कड़े हैं. यह सबसे कड़े प्रतिबंध हैं जिन्हें हमने कभी लगाया है और हम देखेंगे कि ईरान के साथ क्या होता है लेकिन वे बहुत अच्छा नहीं कर रहे हैं, यह मैं आपको बता सकता हूं.

बीबीसी ने बताया कि ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस ने प्रतिबंधों का विरोध किया है. यह उन पांच देशों में शामिल जो अभी भी ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते के लिए प्रतिबद्ध हैं. हजारों ईरानियों ने रविवार को 'अमेरिका मुर्दाबाद' के नारे लगाते हुए बातचीत के आह्वान को खारिज करने की मांग की.