यहां भांग की खेती को मिली मंजूरी, किसानों में खुशी की लहर
थाइलैंड की नेशनल असेंबली ने एक विधेयक पारित किया, जिसमें भांग और परंपरागत औषधीय पौधे क्रेटम पर शोध तथा चिकित्सकीय उपयोग को कानूनी मान्यता दी गयी है.
कुछ समय पहले कनाडा की संसद ने मादक पदार्थ भांग (मारिजुआना) के सेवन को देशभर में वैध कर दिया है. इसके साथ ही कनाडा मारिजुआना के सेवन को वैधता देने वाला दुनिया का दूसरा देश बन गया है. अब थाइलैंड के किसानों ने चिकित्सकीय उद्देश्यों के लिए भांग के उत्पादन और उपयोग को अनुमति देने वाले एक नये कानून का स्वागत किया है. किसी एशियाई देश में किसानों को इसका आर्थिक लाभ दिलाने वाली इस तरह की यह पहली कोशिश है. वैसे भारत में यूपी और उत्तराखंड में कानूनी रूप से भांग की खेती होती है.
थाइलैंड की नेशनल असेंबली ने मंगलवार को एक विधेयक पारित किया, जिसमें भांग और परंपरागत औषधीय पौधे क्रेटम पर शोध तथा चिकित्सकीय उपयोग को कानूनी मान्यता दी गयी है.
यह कदम इस इलाके के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जहां मादक पदार्थ से संबंधित नियमों के उल्लंघन पर कड़ी सजा के प्रावधान हैं. नये कानून से भांग के उत्पादन, आयात और निर्यात में मदद मिलेगी. थाइलैंड की राष्ट्रीय किसान परिषद ने इस कदम की सराहना की है क्योंकि यह किसानों को अपनी उपज के विविधिकरण के लिए एक नयी आर्थिक फसल मुहैया करता है.
उत्तराखंड में लगेगा भांग फार्म
उधर, इज़राइल के एक प्रतिनिधिमंडल ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात कर राज्य में शैवाल (एलगी) फार्म तथा भांग के पौधों (कैनबिस) का फार्म लगाने का प्रस्ताव रखा है. इज़राइली कंपनी 'प्योरमैजिक लिमिटेड' दुनिया के औषधीय बाजार में उच्च मांग वाली कैनबिस (औषधीय भांग के पौधे) की खेती व प्रोसेसिंग भी उत्तराखण्ड में करना चाहती है.
इण्डियन इण्डस्ट्रियल हैम्प ऐसोसिएशन उत्तराखण्ड में भांग के खेती के लिए एकमात्र लाइसेंसी है. मुख्यमंत्री रावत ने इज़राइली व्यापारिक प्रतिनिधिमण्डल को बताया कि राज्य सरकार उत्तराखण्ड में अधिकाधिक स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने, पलायन रोकने व स्थानीय संसाधनों के आधार पर स्थानीय आर्थिकी को मजबूत करने पर गम्भीरता से कार्य कर रही है.