International North-South Transport Corridor: भारत और रूस की बढ़ेगी की नज़दीकी, ईरान बनेगा ट्रांसपोर्ट हब
INSTC Russia India: ईरान भारत और रूस के बीच लाइफलाइन बना रहा है. इसके तहत 3300 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन और 6000 किलोमीटर लंबे हाईवे पर तेजी से काम चल रहा है.
INSTC Russia India: चीन से विवाद हो या यूक्रेन की जंग, दुनिया भारत और रूस की दोस्ती की मिसाल देती रही है. अब यह दोस्ती और मजबूत होती जा रही है. ईरान भारत और रूस के बीच लाइफलाइन बना रहा है. इसके तहत 3300 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन और 6000 किलोमीटर लंबे हाईवे पर तेजी से काम चल रहा है. ईरान के रास्ते रूस से भारत तक का व्यापार मार्ग तैयार हो जाने के बाद ये तीनों देश अमेरिकी सैंक्शंस से बचते हुए आपस में आसानी से ट्रेड कर सकेंगे. इस मार्ग के बनने से भारत यूरोप को दरकिनार कर रूस के साथ व्यापार कर सकेगा. इतना ही नहीं पूर्व में इसी रास्ते से रूस के सेंट पीटर्सबर्ग से भारत के मुंबई तक माल पहुंचाया जाता था.
यह नया ट्रेड मार्ग भारत और रूस के बीच माल के ट्रांजिट टाइम को बहुत कम कर देगा. ईरान ने अपने देश में 3300 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन पर तेजी से काम शुरू कर दिया है. एक ईरानी अधिकारी ने हाल ही में बताया था कि इस रेलवे लाइन का 560 किलोमीटर का हिस्सा इस साल मार्च तक बनकर तैयार हो जाएगा.
ईरानी हाईवे से भारत तक माल का आना होगा आसान
इन सभी परियोजनाओं के पूरा होने के बाद देश के रेलवे नेटवर्क में 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होगी. इसी तरह 6000 किमी लंबे हाईवे पर भी तेजी से काम चल रहा है. इसमें से 1000 किमी का हिस्सा इस साल मार्च तक पूरा हो जाएगा. इसके अलावा साल 2022 में 4 लेन का हाईवे खोला गया जो कैस्पियन सी को पर्शियन गल्फ से जोड़ता है. ईरान को उम्मीद है कि वह एशिया, रूस और यूरोप के बीच ट्रांसपोर्ट हब बन सकता है. वर्ष 2002 में, भारत, रूस और ईरान ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था.
इस डील के बाद इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर की नींव रखी गई थी. इससे भारत ईरान और अजरबैजान के रास्ते रूस से जुड़ जाएंगे और उन्हें सुएज कैनल की जरूरत नहीं पड़ेगी. इस व्यापार मार्ग को बनाने के लिए ईरान और रूस अरबों डॉलर खर्च कर रहे हैं. इस रूट का पहले से ही काफी इस्तेमाल होने लगा है. कैस्पियन सी में रूस और ईरान के जहाज देखे जा रहे हैं. यूक्रेन युद्ध के बीच रूस और ईरान दोनों ही पश्चिमी देशों के काफी दबाव में हैं. बताया जा रहा है कि इस पूरे रास्ते को बनाने में दोनों देश 25 अरब डॉलर का निवेश कर रहे हैं.
रूस आसानी से इंडियन ओशियन तक पहुंच जाएगा
इस मार्ग के बनने के बाद रूस का इंडियन ओशियन तक का सफर आसान हो जाएगा और वह खाड़ी और अफ्रीकी देशों के साथ तेजी से व्यापार भी कर सकेगा. यही वजह है कि पुतिन खुद इस रास्ते पर फोकस कर रहे हैं. इससे पहले जुलाई में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने ईरानी समकक्ष से मुलाकात की थी. दोनों नेता उत्तरी ईरान में रश्त-अस्तारा रेल लिंक को पूरा करने पर सहमत हुए थे.
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