Doomsday Clock: क्या आपको पता है कि 76 साल पहले वैज्ञानिकों ने एक घड़ी बनाई थी, जिसे Doomsday Clock कहा गया, और यह घड़ी पृथ्वी और इंसानियत के कयामत के दिन के करीब बढ़ती रहती है? और अभी खबर ये है कि इस घड़ी की सुई कयामत के दिन के सबसे करीब है. यानी कि हम अभी कयामत के जितने करीब हैं, उतने पहले कभी नहीं थे. अगर आपको इन सारी बातों का मतलब समझ नहीं आ रहा है, तो हम यहां आपको डीटेल में सबकुछ समझा रहे हैं.

Doomsday Clock क्या है और काम कैसे करता है? (What is Doomsday Clock and how does it work?)

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1947 में परमाणु वैज्ञानिकों के एक समूह ने इस घड़ी को तैयार किया था. इस ग्रुप में अल्बर्ट आइंस्टीन भी शामिल थे. ये वैज्ञानिक मैनहैटन प्रोजेक्ट में शामिल थे, जिसमें दूसरे विश्व युद्ध के लिए पहले परमाणु हथियार बनाने पर काम किया गया था. यह घड़ी एक तरह का प्रतीक या सिम्बॉलिक टाइमपीस है, जो कि दिखाता है कि दुनिया विनाश के कितने करीब है. इसमें विनाश या कयामत का वक्त रात के 12 बजे रखा गया है. यानी ये इस बात का प्रतीक है कि घड़ी की सूई के रात के 12 बजे पर आने का मतलब विनाश का दिन है. वैज्ञानिक दुनियाभर के खतरों को देखते हुए घड़ी की सूई को आगे-पीछे करते हैं. राजनीतिक अस्थिरता, युद्ध, हथियार, तकनीक, क्लाइमेट चेंज और महामारी जैसी स्थिति में इंसानियत और धरती को कितना भय है, इसे देखते हुए घड़ी की सूई रात के 12 बजे से दूर या करीब रखा जाता है.

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जब इस घड़ी को बनाया गया था, तो यह रात 12 बजे से सात मिनट दूर थी. 1991 में जब यूनाइटेड स्टेट्स और रूस के बीच शीत-युद्ध खत्म करने और इसके लिए Strategic Arms Reduction Treaty के तहत परमाणु हथियार कम करने पर समझौता हुआ था, तब इसे पीछे खिसकाकर 12 बजने में 17 मिनट बाकी पर कर दिया गया था. और यह अब तक का सबसे लंबा वक्त है, जब यह कयामत के घंटे से इतना दूर था.

Doomsday Clock चर्चा में क्यों है? (Doomsday Clock News)

मंगलवार को परमाणु वैज्ञानिकों के एक समूह ने घड़ी की सूई को रात 12 बजने में 90 सेकेंड बाकी पर कर दिया. यानी कि घड़ी पर रात के 12 बजने में बस 90 सेकेंड बाकी हैं. ऐसा पहली बार हुआ है, जब घड़ी की सूई रात के 12 बजे के इतने करीब है. साल 2020 में महामारी की शुरुआत के बाद इस घड़ी की सूई पहली बार घुमाई गई है. 2020 में इसे रात के 12 बजने में 100 सेकेंड बाकी पर रखा गया था. रूस-यूक्रेन युद्ध को देखते हुए इस बार घड़ी की सुई मूव की गई है. दरअसल, इस युद्ध ने परमाणु युद्ध की आंशका और भय को बढ़ा दिया है. हालांकि, वैज्ञानिकों ने कहा है कि घड़ी की सूई आगे खिसकाने के फैसले के पीछे युद्ध बड़ी वजह है, लेकिन ये अकेली वजह नहीं.

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घड़ी की सूई कहां होगी, ये तय कैसे होता है? (How Is The Clock Set?)

US के शिकागो में Bulletin of the Atomic Scientists नाम का एक नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन है, जो इस टाइम को सालाना अपडेट करता है. इसके लिए पृथ्वी और इंसानियत पर सर्वनाश के खतरे और इसे ट्रिगर करने वाले तथ्यों का आकलन करके यह तय किया जाता है कि सूई कहां रहेगी. वैज्ञानिकों का एक समूह, न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी और क्लाइमेट साइंस पर कुछ एक्सपर्ट्स, जिसमें 13 नोबल पुरस्कार विजेता भी होते हैं, वो इसपर चर्चा करते हैं कि दुनियाभर की स्थिति के हिसाब से उस साल घड़ी की सूई कहां रखनी होगी.

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