मलेरिया एक ऐसी बीमारी है जो मच्‍छरों के कारण मनुष्‍यों में फैलती है. वैसे तो मलेरिया के मामले दुनियाभर में पाए जाते हैं, लेकिन विशेष रूप से ये सहारा अफ्रीका और एशिया के ज्यादातर देशों में पाया जाता है. भारत में तो पूरे साल ही मलेरिया का खतरा बना रहता है. मच्‍छरों के कारण होने वाली ये एक ऐसी बीमारी है जिसका समय रहते सही उपचार नहीं किया गया, तो ये जानलेवा भी हो सकती है. डब्‍ल्‍यूएचओ (WHO) के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2021 में दुनिया भर में मलेरिया के अनुमानित 247 मिलियन मामले थे, वहीं मलेरिया से होने वाली मौतों की अनुमानित संख्या 619 000 थी.

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इस बीमारी की गंभीरता को समझाने और इसके बारे में जागरुक करने के लिए हर साल 25 अप्रैल को विश्‍व मलेरिया (World Malaria Day) दिवस मनाया जाता है. हर साल इसकी एक अलग थीम निर्धारित की जाती है. साल 2023 की थीम है- ‘Ready To Combat Malaria' यानी मलेरिया से लड़ने के लिए तैयार. आज विश्‍व मलेरिया दिवस के मौके पर आइए आपको बताते हैं इस बीमारी के लक्षण और बचाव के बारे में.

कैसे होती है मलेरिया की बीमारी

WHO के मुताबिक मलेरिया की बीमारी ज्‍यादातर मामलों में संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छरों के काटने से लोगों में होती है. संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छरों के काटने के कारण इंसान के खून में प्लॅस्मोडियम वीवेक्स वायरस संचारित होता है. ये वायरस ही मलेरिया रोग की वजह बनता है. अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो वायरस लिवर तक पहुंचकर समस्‍या को गंभीर कर सकता है. इसके अलावा केवल वही मच्छर व्यक्ति में मलेरिया बुखार संचारित कर सकता है, जिसने पहले किसी मलेरिया से संक्रमित व्यक्ति को काटा हो. कुछ मामलोंं में दूषित रक्‍त चढ़ाने और दूषित सुई के कारण भी मलेरिया हो सकता है.

बरसात में बढ़ जाता है मलेरिया का खतरा

भारत में वैसे तो पूरे साल ही मलेरिया का खतरा बना रहता है, लेकिन बरसात के मौसम में ये खतरा कहीं ज्‍यादा बढ़ जाता है. इसका कारण है कि बरसात के मौसम में जगह-जगह जलभराव होता है जिससे मच्छर पनपते हैं. ऐसे में साफ-सफाई का विशेष रूप से खयाल रखना बहुत जरूरी होता है.

ये हैं हल्‍के और गंभीर मलेरिया के लक्षण

डब्‍ल्‍यूएचओ के मुताबिक मलेरिया के लक्षण आमतौर पर संक्रमित मच्छर द्वारा काटे जाने के 10-15 दिनों के भीतर दिखने शुरू हो जाते हैं. कुछ लोगों में लक्षण हल्के हो सकते हैं, खासकर उन लोगों में जिन्हें पहले मलेरिया का संक्रमण हो चुका है. इसके शुरुआती लक्षण कंपकंपी वाली ठंड लगना, तेज बुखार और सिरदर्द को माना जाता है. इसके अलावा शरीर में दर्द, जी मिचलाना, उल्‍टी होना, पसीना आना आदि भी हो सकते हैं. 

वहीं गंभीर मामलों में सांस लेने में दिक्‍कत, आंखों और त्‍वचा में पीलापन, अत्‍यधिक थकान और कमजोरी, यूरिन में ब्‍लड आना, असामान्‍य रक्‍तस्राव, याद्दाश्‍त में दिक्‍कत आदि हो सकते हैं. हल्के मलेरिया के लिए जल्दी इलाज कराने से संक्रमण को गंभीर होने से रोका जा सकता है, वहीं गंभीर लक्षण दिखने पर मरीज को फौरन इमरजेंसी में ले जाना चाहिए, वरना स्थिति जानलेवा भी हो सकती है. गर्भावस्था के दौरान मलेरिया का संक्रमण भी समय से पहले प्रसव या कम जन्म वजन वाले बच्चे की डिलीवरी का कारण बन सकता है.

क्‍या है बचाव का तरीका

  • मच्छर-दानी लगाकर सोएं और ध्यान रखें कि आसपास सफाई हो.
  • घर के अंदर मच्छर मारनेवाली दवा छिड़कें और मॉस्‍कीटो रिपेलेंट मशीनों का इस्तेमाल करें.
  • घर के दरवाजों और खिड़कियों पर जाली लगाकर रखें.
  • कमरे में एसी और पंखों का इस्तेमाल करें, ताकि मच्छर एक जगह पर न बैठें.
  • पूरी बाजू के कपड़े पहनें, ताकि आपके शरीर के अंग ज्‍यादा खुले न रहें. 
  • उन जगहों पर जानें से बचें जहां झाड़ियां हों या जहां पानी इकट्ठा हो क्योंकि वहां मच्छर पनपने का खतरा ज्‍यादा होता है.