Listening Beefits: कहा जाता है कि अच्‍छा वक्‍ता होने से पहले आपको अच्‍छा श्रोता होना चाहिए. लेकिन आजकल लोगों के बीच किसी की बात सुनने का धैर्य खत्‍म सा हो रहा है. हर कोई अपनी बात को पहले रखना चाहता है और इसके लिए सामने वाले की बात को भी बीच में काटने में भी गुरेज नहीं करता. लेकिन वास्‍तव में ज्‍यादा बोलने से भी कहीं ज्‍यादा फायदे अच्‍छे श्रोता को मिलते हैं. हो सकता है कि आपको ये बात सुनने में अजीब लग रही हो, लेकिन ये सच है. अगर यकीन नहीं तो आप आजमा कर देख लें. आज वर्ल्‍ड लिसनिंग डे (World Listening Day) पर यहां जानिए 5 Interesting Benefits.

पहला फायदा

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हमारी सबसे बड़ी समस्‍या है कि सामने वाले की बात सुनते समय भी हम अपने पॉइंट ऑफ व्‍यू को आगे रखते हैं, इस कारण सामने वाले की बात या तो बीच में काट देते हैं, या फिर उसकी बातों पर पूरी तरह से ध्‍यान ही नहीं दे पाते. जबकि एक अच्‍छे श्रोता को पहले सिर्फ श्रोता होना चाहिए. मतलब किसी की बात सुनते समय आपको अपने विचारों को साइड में रखना चाहिए और पूरी तरह से सामने वाले को ध्‍यान से सुनना चाहिए. ऐसे में कई बार आपको सामने वाले की बातों से नई चीजों को सीखने और समझने का मौका मिलता है. कई बार आपको वो जवाब मिल जाते हैं, जहां तक आप अपने पॉइंट ऑफ व्‍यू के जरिए पहुंच ही नहीं पा रहे थे. ऐसे में आप उस जानकारी का सही इस्‍तेमाल कर सकते हैं.

दूसरा फायदा

जो लोग बेहतर श्रोता होते हैं, वो सामने वाले को सुनकर वो उसकी स्थितियों का आकलन बेहतर तरीके से कर पाते हैं. ऐसे लोग जो भी बोलते हैं, काफी सोच समझकर बोलते हैं. इससे दूसरे लोग आहत नहीं होते और आपके दूसरों के साथ रिश्‍ते बेहतर बने रहते हैं.

तीसरा फायदा

आपको सुनकर बेशक हैरानी हो, लेकिन एक अच्‍छा श्रोता बनकर आप तमाम लोगों की मदद कर सकते हैं. इसका कारण है कि अगर आप सोच-समझकर बोलते हैं, तो लोगों के बीच आपकी छवि एक मैच्‍योर और समझदार इंसान की होती है. ऐसे में आपसे जुड़े तमाम लोग जो अपने मन की बात विश्‍वसनीय लोगों से कहना चाहते हैं, वो आप पर यकीन करके आपसे बहुत कुछ शेयर कर सकते हैं. ऐसे में उनका मन शांत होता है, कई बार उन्‍हें आपके जरिए प‍रेशानी का हल मिल जाता है और तनाव, डिप्रेशन जैसी स्थितियों से बच जाते हैं. 

चौथा फायदा

अगर आप लोगों की बात ध्‍यान से सुनते हैं और कम बोलते हैं, तो इससे आपकी बातों का वजन बढ़ता है. आप जब भी किसी के बीच अपने विचार रखते हैं, तो लोग ध्‍यान से उन्‍हें सुनते हैं. आपके विचारों को गंभीरता से लिया जाता है.

पांचवां फायदा

ज्‍यादा सुनने और कम बोलने की आदत आपको तमाम वाद-विवाद, झगड़ों से बचा लेती है. कई बार ज्‍यादा बोलने वाले लोग बोलते-बोलते अपनी निजी बातों को भी कह जाते हैं और बाद में उन्‍हें पछतावा होता है. लेकिन ज्‍यादा सुनने वाले और नपा तुला बोलने वाले लोगों से ये गलती बहुत कम होती है. वे कई बातों को हंसकर टाल देते हैं और इससे तमाम वाद-विवाद और लड़ाई-झगड़े से बच जाते हैं.

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