World Heart Day 2023 Special: दुनियाभर में कार्डियोवैस्‍कुलर डिजीज के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. इसके कारण काफी लोगों को जान गंवानी पड़ती है. WHO के आंकड़े बताते हैं कि हर साल करीब 1 करोड़ 79 लाख लोगों की मृत्यु सिर्फ कार्डियोवैस्‍कुलर डिजीज की वजह से हो रही है.आमतौर पर हार्ट से जुड़ी तमाम समस्‍याओं की वजह खराब लाइफस्‍टाइल और गलत खानपान को माना जाता है. 

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लेकिन फिर भी लोग इनको लेकर सचेत नहीं होते और इधर-उधर की बातें सुनकर तमाम गलतफहमियां मन में पाल लेते हैं. ये गलतफहमियां आपके जीवन को खतरे में डाल सकती हैं. इसलिए आज 29 सितंबर को वर्ल्‍ड हार्ट डे के मौके पर आप इन गलतफहमियों को दूर कर लीजिए और दिल की सेहत की गंभीरता को समझने का प्रयास कीजिए, ताकि आपका दिल सुरक्षित रहे.

मैं तो अभी बहुत यंग हूं, मुझे हार्ट की समस्‍या नहीं होगी!

ये सोच अगर आपकी भी है, तो आप बिल्‍कुल गलत हैं. हार्ट की समस्‍याओं का उम्र से कोई लेना-देना नहीं होता है. अब आप कैसे रहते हैं ये जीवन में हृदय रोगों के जोखिम को प्रभावित करता है. बचपन और किशोरावस्था से ही, धमनियों में प्लाक जमा होना शुरू हो सकता है और बाद में धमनियां बंद हो सकती हैं. तीन में से एक अमेरिकी को हृदय रोग है, लेकिन वो सभी वृद्ध नहीं हैं. ये समस्‍या युवा और मध्यम आयु के लोगों को भी हो सकती है. इसका रिस्‍क इसलिए भी ज्‍यादा है क्‍योंकि हार्ट डिजी के रिस्‍क फैक्‍टर्स जैसे मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज आदि कम उम्र में ही आम होते जा रहे हैं.

जब दिल का दौरा पड़ेगा तो पता चल जाएगा क्‍योंकि उस समय सीने में दर्द होता है!

आप भी अगर ऐसा सोचते हैं तो ये गलतफहमी दिमाग से निकाल दीजिए. ये सच है कि सीने में दर्द हार्ट अटैक का लक्षण है, लेकिन कई बार दिल के दौरे के सूक्ष्‍म लक्षण भी सामने आते हैं. इनमें सांस लेने में तकलीफ, मितली, चक्कर आना और एक या दोनों बाहों, जबड़े, गर्दन या पीठ में दर्द या परेशानी शामिल है. भले ही आप आश्वस्त न हों कि यह दिल का दौरा है, लेकिन इन लक्षणों के दिखते ही तुरंत हेल्‍पलाइन नंबर पर कॉल करें.

जब तक मैं दवा खा रहा हूं, डायबिटीज से मेरे हार्ट को कोई खतरा नहीं!

डायबिटीज कंट्रोल होना अच्‍छी बात है, इससे हार्ट से जुड़ी बीमारी का जोखिम कम हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि आपको किसी तरह का रिस्‍क ही नहीं है. जब ब्‍लड शुगर का स्तर नियंत्रण में होता है, तब भी आपको हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि जिन समस्‍याओं की वजअ से आपको डायबिटीज हुआ है, वो रिस्‍क फैक्‍टर्स हार्ट की समस्‍याओं को विकसित करने की संभावना को भी बढ़ाते हैं. इन रिस्‍क फैक्‍टर्स में हाई बीपी, अत्‍यधिक वजन और मोटापा, शारीरिक निष्क्रियता और धूम्रपान शामिल हैं.

मिडिल एज से पहले कोलेस्‍ट्रॉल चेक कराने की कोई जरूरत नहीं!

आप भी ऐसा सोचते हैं तो धारणा बदल दीजिए. अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की सलाह है कि आप 20 साल की उम्र से हर 5 साल में अपने कोलेस्ट्रॉल की जांच कराना शुरू कर दें. अगर आपके परिवार में हृदय रोग का इतिहास है तो इससे पहले भी कोलेस्ट्रॉल परीक्षण शुरू कर सकते हैं. ऐसे परिवारों में बच्‍चों में भी हाई कोलेस्‍ट्रॉल की समस्‍या देखने को मिल सकती है, ऐसे में बड़े होने पर उनमें हृदय रोग विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है. लेकिन आप हेल्‍दी डाइट लेकर और नियमित व्यायाम करके अपनी और अपने परिवार की मदद कर सकते हैं.

हार्ट फेलियर का मतलब हार्ट ने काम करना बंद कर दिया है!

कार्डियक अरेस्‍ट के दौरान हार्ट काम करना बंद करता है, हार्ट फेलियर के दौरान नहीं. हार्ट फेलियर के दौरान दिल काम करता है, लेकिन वो रक्त को उतनी अच्छी तरह से पंप नहीं कर पाता जितना उसे करना चाहिए. इससे सांस लेने में तकलीफ, पैरों और टखनों में सूजन या लगातार खांसी और घरघराहट हो सकती है. कार्डियक अरेस्ट के दौरान व्यक्ति होश खो बैठता है और सामान्य सांस लेना बंद कर देता है.

दिल का दौरा पड़ने के बाद व्‍यायाम नहीं करना चाहिए!

अगर आप भी ऐसा सोचते हैं, तो आप गलत हैं. अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन हार्ट की बेहतर सेहत के लिए हर सप्ताह कम से कम ढाई घंटे की मध्यम तीव्रता वाली शारीरिक गतिविधि की सिफारिश करता है. लेकिन आपको किस तरह की एक्‍सरसाइज करनी चाहिए और किस तरह से करनी चाहिए, इस बारे में किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.

मेरी फैमिली हिस्‍ट्री में है हार्ट डिजीज, तो मैं इससे बच नहीं सकता!

ये सच है कि किसी भी बीमारी की फैमिली हिस्‍ट्री होने पर परिवार के सदस्‍यों के लिए उस बीमारी का रिस्‍क बढ़ जाता है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि वो बीमारी होकर ही रहेगी और उससे बचने के सारे तरीके व्‍यर्थ हैं. वास्‍तव में अगर आप अपनी हेल्‍थ को लेकर सचेत हैं और हेल्‍दी लाइफस्‍टाइल को फॉलो करते हैं, फिजिकल एक्टिव रहते हैं, आपका खानपान हेल्‍दी है, वजन नियंत्रित है, स्‍मोकिंग वगैरह से दूर रहते हैं, तो आप अपने आप को काफी हद तक हार्ट की समस्‍याओं से बचा सकते हैं. लेकिन फिर भी समय-समय पर जांच कराते रहना जरूरी है.

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