World Health Day History and Significance: विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य दिवस (World Health Day) हर साल 7 अप्रैल को मनाया जाता है. डब्ल्यूएचओ की नींव के साथ ही विश्व स्वास्थ्य दिवस की शुरुआत हुई थी. साल 1948 में दुनिया के देश एक साथ आए और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (World Health Organisation) की स्‍थापना की गई. डब्‍ल्‍यूएचओ की नींव रखने के दो साल बाद 7 अप्रैल 1950 में पहला विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया गया था और तब से हर साल ये दिन सेलिब्रेट किया जाता है. इस दिन को डब्‍ल्‍यूएचओ (WHO) के फाउंडेशन डे के तौर पर भी मनाया जाता है. विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य दिवस का उद्देश्‍य लोगों को उनकी सेहत के प्रति जागरुक करना है.

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हर साल वर्ल्‍ड हेल्‍थ डे की थीम (World Health Day Theme 2023) बदली जाती है. इस साल डब्ल्यूएचओ ने Health for All की थीम के साथ इस दिन को मनाने का फैसला लिया है. आइए इस खास दिन पर आज बात करते हैं महिलाओं की सेहत की क्‍योंकि ज्‍यादातर महिलाएं खुद की सेहत को लेकर लापरवाही बरतती हैं और यही वजह है कि समय से पहले वो तमाम परेशानियों से घिर जाती हैं. अगर समय रहते वे कुछ सावधानियां बरत लें, तो बहुत सी बीमारियों को रोक सकती हैं. आइए आपको बताते हैं कुछ ऐसे मेडिकल टेस्‍ट के बारे में जिन्‍हें समय-समय पर हर महिला को कराते रहना चाहिए. 

सीबीसी

सीबीसी यानी कंप्‍लीट ब्‍लड काउंट. सेहत के प्रति लापरवाही बरतने और हर माह पीरियड होने के कारण ज्‍यादातर महिलाओं के शरीर में खून की कमी हो जाती है. ध्‍यान न देने पर ये समस्‍या एनीमिया का रूप ले लेती है. इस स्थिति से बचने के लिए विशेषज्ञ समय-समय पर महिलाओं को कंप्‍लीट ब्‍लड काउंट टेस्‍ट करवाने की सलाह देते हैं. ये एक ब्‍लड टेस्‍ट है जिसके जरिए लाल रक्त कोशिकाओं (RBC), श्वेत रक्त कोशिकाओं (WBC), हीमोग्लोबिन, हेमटोक्रिट (Hct) और प्लेटलेट्स आदि की जानकारी मिल जाती है.

बीएमपी

बेसिक मेटाबोलिक पैनल (BMP). इस टेस्ट के जरिए ब्लड में कैल्शियम, सोडियम, पोटैशियम, बाइकार्बोनेट, क्लोराइड, ब्लड यूरिक नाइट्रोजन और क्रिएटिनिन आदि तमाम कंपाउंट्स का पता लगाया जाता है. समय-समय पर इस टेस्‍ट को करवाकर ये पता लगाया जा सकता है कि शरीर में किस कंपाउंड की कमी है. ऐसे में विशेषज्ञ की मदद से उस कमी को समय रहते दूर किया जा सकता है.  

डायबिटीज

महिलाओं में मोटापा एक बड़ी समस्‍या है. मोटापे को बीमारियों का घर कहा जाता है. ऐसे में सबसे ज्‍यादा रिस्‍क डायबिटीज का बढ़ जाता है. अगर फैमिली हिस्‍ट्री रही है, तो रिस्‍क और भी ज्‍यादा होता है. इसलिए 30 के बाद महिलाओं को बचाव के तौर पर डायबिटीज का टेस्‍ट समय-समय पर जरूर कराना चाहिए. साथ ही नियमित वॉक और थोड़ा वर्कआउट करना चाहिए ताकि इस बीमारी के रिस्‍क से बच सकें.

लिपिड प्रोफाइल

इस टेस्‍ट के जरिए कोलेस्‍ट्रॉल का पता लगाया जाता है. गलत खानपान और फिजिकल एक्टिविटी न होने के कारण महिलाओं का मोटापा तेजी से बढ़ता है. इसके कारण कोलेस्‍ट्रॉल बढ़ने की भी आशंका होती है. कोलेस्‍ट्रॉल हार्ट से जुड़ी तमाम बीमारियों की वजह बन सकता है. ऐसे में कोलेस्‍ट्रॉल की जांच 30 के बाद सिर्फ महिला ही नहीं, बल्कि सभी के लिए जरूरी है.

थायरॉयड

ये भी आजकल की लाइफस्‍टाइल डिजीज है और ज्‍यादातर महिलाओं में देखी जाती है. थायरॉयड के कारण शरीर में हॉर्मोनल असंतुलन होता है और कई तरह की परेशानियां सामने आती हैं. ज्‍यादातर ये समस्‍या 30 के आसपास ही महिलाओं को घेरती है. ऐसे में इससे बचाव के लिए समय-समय पर थायरॉयड फंक्शन टेस्ट कराते रहना चाहिए. इसमें T3-T4 और TSH का पता चलता है.

पैप स्‍मीयर

अगर फैमिली में ब्रेस्‍ट या सर्वाइकल कैंसर की फैमिली हिस्‍ट्री रही है, तो महिलाओं को 30 के बाद मेमोग्राम और पैप स्‍मीयर टेस्‍ट डॉक्‍टर की सलाह लेकर करवाना चाहिए. ताकि इस घातक बीमारी से बचाव किया जा सके. महिलाओं में ब्रेस्‍ट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर के मामले पिछले कुछ समय में तेजी से बढ़े हैं.

नोट- ये जानकारी सामान्‍य रूप से सजग और सतर्क रहने के लिए दी गई है. हम इसकी पुष्टि नहीं करते. 

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