Consumer Rights in India: जागो ग्राहक जागो की टैगलाइन के साथ आपने टीवी पर कई बार विज्ञापन चलते हुए देखे होंगे. ये विज्ञापन चलाने का मकसद ग्राहकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करना है. वर्ल्‍ड कन्‍ज्‍यूमर्स राइट्स डे भी इसी मकसद के साथ हर साल 15 मार्च को मनाया जाता है, ताकि दुनिया के सभी ग्राहकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक किया जा सके.

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इस दिन की शुरुआत करने का श्रेय अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी को जाता है. 15 मार्च 1962 को कैनेडी ने अमेरिकी कांग्रेस को औपचारिक रूप से संबोधित करते हुए उपभोक्ता अधिकारों के मुद्दे को मजबूती से उठाया था. इसके बाद 15 मार्च, 1983 को आधिकारिक रूप से इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई. तब से हर साल 15 मार्च को ये दिन सेलिब्रेट किया जाता है. भारत में भी कन्‍ज्‍यूमर्स के पास कई अधिकार हैं, लेकिन वो उसको लेकर अवेयर नहीं हैं. आज World Consumers Day 2024 के मौके पर आपको बताते हैं इन अधिकारों के बारे में.

सूचना का अधिकार (Right to be Informed)

हर ग्राहक के पास ये अधिकार होता है कि वो किसी भी उत्‍पाद या सर्विस की शुद्धता, मूल्य और क्वालिटी स्टैंडर्ड से जुड़ा कोई भी सवाल दुकानदार से पूछ सकते हैं. इसके लिए उन्‍हें मना नहीं किया जा सकता.

चुनने का अधिकार (Right to Choose)

इस अधिकार के तहत आप अपनी पसंद का कोई भी सामान चुन सकते हैं. ग्राहक सभी प्रकार की चीजों को देखकर अपनी पसंद के हिसाब से कोई भी सामान खरीद सकता है. कोई भी दुकानदार उसे किसी खास प्रोडक्‍ट या सर्विस को लेने के लिए बाध्‍य नहीं कर सकता.

सुरक्षा का अधिकार (Right to Safety)

सुरक्षा का अधिकार ग्राहक को उसकी सुरक्षा का पूरा अधिकार देता है. इस अधिकार के तहत कोई भी दुकानदार अपने ग्राहक को ऐसी कोई चीज नहीं दे सकता जिसकी गुणवत्‍ता खराब हो और जिससे ग्राहक को वर्तमान या भविष्‍य में किसी भी तरह का नुकसान हो. अगर ऐसा कोई सामान दुकानदार द्वारा दिया जाता है तो आप उसे बदलवा सकते हैं और अगर दुकानदार सामान को बदलने के लिए मना करे तो आप उसकी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं.

उपभोक्‍ता शिक्षा का अधिकार (Right to Consumer Education)

ग्राहक होने के नाते आपको क्‍या अधिकार दिए गए हैं, इन सब की जानकारी होना भी उपभोक्‍ता के अधिकारों में शामिल है. इसके लिए सरकार को समय-समय पर ग्राहक जागरूकता अभियान चलाना चाहिए और ग्राहकों को उनके अधिकारों के प्रति शिक्षित करना चाहिए.

सुनवाई का अधिकार (Right to be Heard)

अगर ग्राहक के साथ दुकानदार बुरा बर्ताव करता है या उसके साथ किसी भी तरह का अन्‍याय हो तो ग्राहक इसके खिलाफ कन्‍ज्‍यूमर कोर्ट में अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है. राइट टू हर्ड के तहत उसे सुनवाई का अधिकार दिया गया है.

समस्‍या के समाधान का अधिकार (Right to seek Redressal)

एक उपभोक्ता को अपने साथ हुए अन्‍याय के खिलाफ न सिर्फ शिकायत करने का अधिकार है, बल्कि समय से उसका समाधान पाने का भी अधिकार है. यानी इसमें उपभोक्ता की वास्तविक शिकायतों के उचित निपटान का अधिकार भी शामिल है.