World Autism Awareness Day: क्या है ऑटिज्म, इस बीमारी के लक्षण, कारण और इलाज, जानें ऑटिज्म से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई
World Autism Awareness Day: ऑटिज्म दिमागी विकास से संबंधित समस्या है. इसके लक्षण कई तरह के होते हैं. जानिए ऑटिज्म के लक्षण, कारण और इलाज.
World Autism Awareness Day: क्या है ऑटिज्म, इस बीमारी के लक्षण, कारण और इलाज, जानें ऑटिज्म से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई
World Autism Awareness Day: क्या है ऑटिज्म, इस बीमारी के लक्षण, कारण और इलाज, जानें ऑटिज्म से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई
World Autism Awareness Day 2023: आज विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस है. हर साल 2 अप्रैल को इसे मनाया जाता है. ऑटिज्म की बीमारी पर हॉलीवुड और बॉलीवुड में कई फिल्में बन चुकी हैं. भारत में सबसे पॉपुलर फिल्म ‘तारे जमीन पर’ थी, जिसमें ईशान अवस्थी को इसी मानसिक बीमारी का रोगी दिखाया गया है. फिल्म में आमिर खान और चाइल्ड एक्टर दर्शील सफारी स्टारर फिल्म ने एक बच्चे की लाइफ के कई प्रॉब्लम्स को दिखाया गया था, जो ऑटिज्म से पीड़ित होता है. ऑटिज्म एक मानसिक रोग है, जिससे हर व्यक्ति में अलग-अलग लक्षण होते हैं. ज्यादातर देखा गया है कि ऑटिज्म के लक्षण बच्चों के शुरुआती जीवन में ही दिखने लगते हैं. इससे पीड़ित बच्चे का मानसिक विकास रुक जाता है और वो लोगों के मिलने जुलने से भी करताते हैं.
ऑटिज्म के लक्षण
इस बीमारी से पीड़ित बच्चों में बहुत छोटी उम्र में ही ऑटिज्म के लक्षण दिखने लगते हैं. हालांकि, कुछ बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण देर से दिखते हैं. आमतौर पर ऑटिज्म के लक्षण दो साल की उम्र तक दिखने लगते हैं.
ये हैं ऑटिज्म के लक्षण
- आंखें न मिलाना या आंखें चुराना
- अपना नाम पुकारने पर भी प्रतिक्रिया न देना
- किसी से बात न करना या उनकी बात पर प्रतिक्रिया न देना
- कुछ बच्चों में लक्षण देर से दिखते हैं, वह अचानक बहुत गुस्सैल दिखने लगते हैं
बच्चों को हो सकती है ये समस्या
ऑटिज्म के हर मरीज का व्यवहार और लक्षणों की गंभीरता अलग-अलग हो सकते हैं. ऑटिज्म से पीड़ित कुछ बच्चों को पढ़ने-लिखने में समस्या हो सकती है जबकि कुछ में सामान्य से कम इंटेलिजेंस हो सकती है. जबकि कुछ बच्चों का इंटेलिजेंस लेवल अन्य सामान्य बच्चों के मुकाबले बहुत अधिक भी हो सकता है.
ऑटिज्म के कारण
ऑटिज्म के कई कारण है. कई बार ये जेनेटिक भी होता है.
जेनेटिक कारण – ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के लिए कई अलग-अलग जीन जिम्मेदार हो सकते हैं. कुछ बच्चों को जेनेटिक डिसऑर्डर की वजह से ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर हो सकता है. जैसे – रेट्ट सिंड्रोम (Rett Syndrome) या फ्रेजाइल एक्स सिंड्रोम (Fragile X Syndrome).
पर्यावरणीय कारण (Environmental factors) – रिसर्चर वायरल इंफेक्शन, मेडिसिन और गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याओं पर रिसर्च कर रहे हैं, कि यह किस हद तक ऑटिज्म का कारण बन सकते हैं.
ऑटिज्म से बचाव संभव है?
ऑटिज्म से बचाव संभव नहीं है. लेकिन इलाज के जरिए इसे कुछ हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. जितनी जल्दी ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर का पता चले और उसका इलाज कराया जाए, उतना ही व्यक्ति के व्यवहार, स्किल व लैंग्वेज डेवलपमेंट को सुधारने में मदद मिल सकती है.
ऑटिज्म का इलाज
ऑटिज्म का अभी कोई इलाज संभव नहीं है. ऑटिज्म के इलाज से बच्चे के लक्षणों को कंट्रोल करना और उसके सीखने की क्षमता को बढ़ाना होता है. ऑटिज्म के रोगी के इलाज के तरीके को भी लगातार बदलना पड़ता है, क्योंकि एक ही तरह की चीजें कर-कर के वह बोर हो सकता है और इलाज में मदद करना बंद कर सकता है.
इन तरीकों से होता है इलाज...
- बिहेवियरल एंड कम्युनिकेशन थेरेपी
- एजुकेशन थेरेपी
- फैमिली थेरेपी
- स्पीच थेरेपी
- ऑक्यूपेशनल थेरेपी
- डेली लिविंग थेरेपी
- फिजिकल थेरेपी
- लक्षणों पर कंट्रोल पाने के लिए दवाएं
जानें ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से जुड़े मिथकों की सच्चाई
मिथक: ऑटिज्म से प्रभावित लोग भावनाओं को महसूस नहीं करते.
तथ्य: ऑटिज्म से ग्रसित बच्चा/व्यक्ति सभी भावनाओं को महसूस कर सकते हैं, लेकिन उन्हें दूसरे लोगों से बातचीत करने और मिलने जुलने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है.
मिथक: ऑटिज्म का इलाज संभव है.
तथ्य: ऑटिज्म एक ऐसा विकार है, जिसका इलाज संभव नहीं है. यह आजीवन चलने वाला विकार है और इसे थेरेपी या दवा के जरिए ठीक नहीं किया जा सकता है.
मिथक: ऑटिस्टिक लोग बौद्धिक रूप (intellectually) से अक्षम होते हैं और बोलने में असमर्थ होते हैं.
तथ्य: ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) से पीड़ित व्यक्तियों की योग्यताएं और फंक्शन अलग होता हैं. कुछ में बौद्धिक अक्षमता या बोलने में कठिनाई हो सकती है, वहीं कुछ में नहीं.
मिथक: ऑटिज्म से पीड़ित लोग स्वतंत्र रूप से जीने या सफल करियर बनाने में सक्षम नहीं होते हैं.
तथ्य: कई ऑटिस्टिक व्यक्ति स्वतंत्र रूप से रहने और सफल करियर बनाने में सक्षम होते हैं.
मिथक: ऑटिज्म सिर्फ बच्चों में होता है.
तथ्य: ऑटिज्म एक आजीवन विकास संबंधी विकार है. बचपन में लक्षण अधिक दिखाई दे सकते हैं मगर ऑटिस्टिक सिम्पटम्स बड़े होकर भी बरकरार रहते हैं. कई वयस्कों में इसके लक्षण बचपन गुजर जाने के बाद ही डायग्नोज हो पाता है.
मिथक: सभी ऑटिस्टिक लोगों में लक्षण समान होते हैं.
तथ्य: ऑटिस्टिक लोगों में अलग-अलग लक्षण और योग्यताएं हो सकती हैं. बातचीत करने में कठिनाई, सेंसरी प्रोसेसिंग में दिक्कत और बार-बार एक ही चीज दोहराना जैसे विकार देखने को मिलते हैं. ऑटिज्म से पीड़ित हर व्यक्ति दूसरे से अलग होता है.
मिथक: ऑटिस्टिक बच्चे अधिक हिंसक होते हैं.
तथ्य: ऑटिस्टिक बच्चों का अधिक हिंसक होना एक गलत धारणा है.
01:08 PM IST