दूर आसमान में बसा चांद, धरती पर रहने वाले लोगों खासकर हिंदुस्‍तानियों के लिए सिर्फ ब्रह्मांड का कोई ग्रह नहीं है, चांद से उनका विशेष लगाव रहा है, उनके इमोशंस जुड़े हुए हैं. भारत में रहने वाला हर बच्‍चा चांद की कहानियां सुनकर बड़ा हुआ है. उसके लिए ये चांद आसमान में रहने वाले 'चंदा मामा' हैं, जिनका इंतजार वो हर रात करता रहा है. उनकी कहानियां सुनता रहा है, पढ़ता रहा है और उनके बारे में लिखता रहा है. 

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आज चंद्रयान-3 मिशन के जरिए भारत उन 'चंदा मामा' की सरजमीं पर कदम रखने को तैयार है. अं‍तरिक्ष की दुनिया में बेशक भारत के लिए ये बड़ी उपलब्धि है, लेकिन हर भारतीय के लिए ये भावुक कर देने वाला क्षण है क्‍योंकि चंद्रयान के जरिए वो उन चंदा मामा से मिलन का सफर तय करने जा रहा है, जिनके बारे में अब तक वो सिर्फ सुनता रहा है और दूर से उनसे बातें करता आ रहा है. आज इस ऐतिहासिक मौके पर आइए आपको बताते हैं कि आखिर दूर आसमान का चांद, कैसे बच्‍चों का चंदा मामा बन गया.

बहुत दिलचस्‍प है वजह

चांद को चंदा मामा कहने की बड़ी दिलचस्‍प वजह है. भारत में मां के भाई को मामा कहा जाता है. अगर वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो धरती का एकमात्र उपग्रह होने की वजह से चांद इसके चारों ओर चक्‍कर लगाता रहता है. ठीक उसी तरह से जिस तरह से एक छोटा भाई हर समय अपनी बहन के इर्द-गिर्द घूमता है. धरती को चूंकि हम मां कहते हैं, इसलिए चांद को उनका भाई मानकर मामा कह दिया गया. चंदा मामा शब्‍द बच्‍चों को बहुत रास आया. इस कारण चंदा मामा को लेकर तमाम कविताएं बनाई गईं और कहानियां और किताबें लिखी गईं. इस तर हसे चांद को बच्‍चों के बीच चंदा मामा कहने का चलन तेजी से पॉपुलर हो गया.

एक कहानी ये भी है…

चांद को चंदा मामा कहने की एक धार्मिक वजह भी बताई जाती है. दरअसल मान्‍यता है कि इस संसार का संचालन और पालन का जिम्‍मा नारायण पर है. नारायण को जगत पिता और माता लक्ष्‍मी को जगत जननी कहा जाता है. समुद्र मंथन के दौरान निकली सभी चीजों को माता लक्ष्‍मी का भाई-बहन माना गया है. चंद्रमा की उत्पत्ति भी समुद मंथन से ही हुई थी. इस कारण वे जगत जननी मां लक्ष्‍मी के भाई हुए. इस कारण संसार में उन्‍हें चंदा मामा कहा जाता है.

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