Earthquake: आखिर क्यों नेपाल बनता है ‘भूकंप जोन’, क्या है इसके पीछे के जियोलॉजिकल कारण- समझें विस्तार से
नेपाल भूकंप के लिए नया इलाका नहीं है. साल 2015 में नेपाल भूकंप ने दुनिया को सकते में डाल दिया था. हाल ही में फिर नेपाल में भूकंप के झटके महसूस किए गए. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है आखिर क्यों नेपाल अक्सर 'भूकंप जोन' बन जाता है.
नेपाल भूकंप (Nepal Earthquake) के लिए नया इलाका नहीं है. कई बार नेपाल में भूकंप के हादसे पेश आए हैं. 2015 के नेपाल भूकंप ने दुनिया को हिला कर रख दिया था. रोज की तरह ही सामान्य दिन था तारीख थी अप्रैल 25, 2015. स्थानीय समय के हिसाब से घड़ी में बजे थे दिन के 11:56 जब सारा नेपाल भूकंप से सिहर उठा. 7.8 मैग्निट्यूड के जोरदार भूकंप ने नेपाल में दस्तक दी और अपने पीछे छोड़ गया दिल दहला देने वाला मंजर. हाल ही में 08 नवंबर 2022 के दिन फिर नेपाल में भूंकप के झटके महसूस किए गए जो कि 6.3 मैग्निट्यूड का बताया जा रहा है. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि नेपाल में भूंकप के झटके आखिर क्यों आते हैं? क्यों अक्सर नेपाल भूकंप जोन बनता है. आज इस आर्टिकल में हम समझेंगे ऐसे जियोलॉजिकल कारण जो नेपाल को बनाते हैं “Earthquake Prone Area”.
नेपाल भूकंप (Nepal Earthquake) की घटनाओं में नया नहीं है क्योंकि, हिमालय दुनिया के सबसे ज्यादा भूकंप एक्टिव इलाकों में से एक है. ये भूंकप दो महाद्वीपीय प्लेटों भारत और यूरेशियन प्लेटों के बीच टकराव का परिणाम है. भारतीय प्लेट लगातार हर साल कुछ सेंटीमीटर उत्तर की ओर बढ़ती है, तिब्बती पठार के नीचे की ओर रास्ता बनाती है. हर एक झटकेदार खिसकाव भूकंप को ट्रिगर करता है. इसे रबर बैंड की शूटिंग की तरह समझ सकते हैं, जब आप रबर को पीछे की तरफ खींचते हैं तो एक तनाव पैदा होता है, एनर्जी उस तनाव में स्टोर होती है. अब आपको किसी पल इस तनाव को रिलीज करना होगा. जैसे ही ये टेंशन रिलीज होती है सारी इक्कट्ठा ताकत काइनेटिक एनर्जी में कन्वर्ट होती है, और भूंकप का कारण बनती है. हिमालयन रीजन में ये जियोलॉजिकल शिफ्ट इसी टेंशन रिलीज के कारण होता है. ये सामान्यत बाउन्डरी के पास 2 प्लेट के बीच होता है. जिसे मुख्य हिमालयन थ्रस्ट कहते हैं. इसका साफ असर सतह पर देखने के लिए मिलता है. और ये लैंडस्केप को ऊपर की तरफ उठा देता है.
सुपर साइकिल बनाती हैं सुपर साइज के झटके
हिमालय की तरफ 2 तरह के भूकंप देखने के लिए मिलते हैं. एक मॉडरेट यानी कि सामन्य इंटेंसिटी का जिसका मैग्निट्यूड 7 तक हो सकता है. इसमें सतह पर क्रैक आ सकते हैं. वहीं 8 मैग्निट्यूड वाले भूकंप में सतह 2 हिस्सों में बंट सकती है. ये मेगा भूकंप कहा जाता है. लेकिन इन दोनों के बीच क्या संबंध है और बढ़ा हुआ तनाव कैसे आगे जाकर रिलीज होता है ये अभी भी साफ नहीं है.
क्या नेपाल में आने वाले भूंकप की भविष्यवाणी है संभव?
भूकंप विज्ञानी रॉजर बिलहम (Roger Bilham) जो कि नेपाल भूकंप पर 2017 में की गई स्टडी के लीड ऑथर हैं, 2018 में हुए एक इंटरव्यू में कहा था कि “ फैक्ट ये है कि ये फिलहाल कोई नहीं कह सकता आगे क्या होगा. भविष्य में आने वाले किसी भी भूकंप के बारे में जानकारी इतनी सटीकता से नहीं दी जा सकती. हो सकता है ये मैगा भूकंप आने वाले हफ्तों में दिखें, या फिर 5 शताब्दी तक भी न हों.” यानी कि भूकंप की आशंका बताने वाले नए मॉडल को यूज करने से पहले अभी और अच्छी तरह रिफाइन किए जाने की जरूरत है.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें