99, 199, 499... क्यों रखे जाते हैं ऐसे प्राइस टैग? जानिए कैसे कीमत ₹1 घटाकर कंपनियां कमाती हैं लाखों
हर सेल में तमाम प्रोडक्ट की कीमतें 99, 499, 999 जैसी रखी जाती हैं. सवाल ये उठता है कि आखिर किसी भी प्रोडक्ट की कीमत 1 रुपये कम रखकर ये कंपनियां क्या हासिल कर लेती हैं?
जब भी कोई SALE लगती है, तो उसमें एक खास चीज देखने को मिलती है. हर सेल में तमाम प्रोडक्ट की कीमतें 99, 499, 999 जैसी रखी जाती हैं. कल यानी 15 जुलाई से Amazon पर Prime Day Sale की शुरुआत हो रही है और इसमें भी आपको इसी तरह के प्राइस टैग देखने को मिलेंगे. यहां एक बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर किसी भी प्रोडक्ट की कीमत 1 रुपये कम रखकर ये कंपनियां क्या हासिल कर लेती हैं? दरअसल, ये सब एक खास मार्केटिंग स्ट्रेटेजी को ध्यान में रखकर किया जाता है. आइए जानते हैं इसके बारे में और समझते हैं 1 रुपये का खेल.
साइकोलॉजिकल प्राइसिंग स्ट्रेटेजी का है सारा खेल
अगर आप भी ये सोच रहे हैं कि आखिर 1-1 रुपये बचाकर किसी भी कंपनी को क्या मिल जाता है तो आपको बता दें कि ये सब एक मार्केटिंग स्ट्रेटेजी के तहत किया जाता है. इस तरह के प्राइस टैग साइकोलॉजिकल प्राइसिंग स्ट्रेटेजी (Psychological Pricing Strategy) के तहत रखे जाते हैं, जिससे अधिक से अधिक ग्राहकों को लुभाया जा सके. इसके अनुसार जब भी कोई शख्स किसी प्रोडक्ट की कीमत में 9 के फिगर को देखता है तो उसे प्रोडक्ट की कीमत कम लगती है. आसान भाषा में समझें तो ग्राहक को 9 के फिगर में लिखी कीमत 10 के बजाय 1 के ज्यादा करीब लगती है. ऐसे में अगर किसी प्रोडक्ट की कीमत 499 रुपये है तो वह ग्राहकों को 400 रुपये के करीब और 500 रुपये से दूर लगती है, जबकि होता इसका उल्टा है.
सिर्फ बातें नहीं, एक्सपेरिमेंट से हो चुका है ये साबित
अगर हम बात करें साइकोलॉजिकल प्राइसिंग स्ट्रेटेजी की तो इसे लेकर शिकागो यूनिवर्सिटी और एमआईटी में इस पर कुछ एक्सपेरिमेंट हो चुके हैं. इस एक्सपेरिमेंट के तहत महिलाओं के कपड़ों को 34 डॉलर, 39 डॉलर और 44 डॉलर की कैटेगरी में रखा. देखने को मिला कि सबसे ज्यादा 39 डॉलर कीमत वाले कपड़े बिके. इससे साइकोलॉजिकल प्राइसिंग स्ट्रेटेजी की बात को मजबूती मिली. यही वजह है कि इस स्ट्रेटेजी का खूब इस्तेमाल किया जाता है.
अब समझिए उस 1 रुपये का खेल
प्रोडक्ट की कीमत 1 रुपये कम रखने से दो तरह के फायदे होते हैं. प्राइसिंग स्ट्रेटेजी तो एक फायदा है ही, दूसरा फायदा उन प्रोडक्ट को दुकान या स्टोर पर बेचने वाले को होता है. अगर ग्राहक ऑलाइन भुगतान ना करें और कैश में भुगतान करें तो अक्सर लोग अपने बिल का 1 रुपया वापस लेना छोड़ देते हैं. ऐसे में यह पैसा उन लोगों के खाते में जाता है जो कैश काउंटर पर बैठे होते हैं. हालांकि, पिछले कुछ सालों में डिजिटल पेमेंट तेजी से बढ़ा है, जिसके चलते 1 रुपये वाला ये फायदा बहुत ही कम हो गया है.