28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन है. नए संसद भवन के साथ ही सेंगोल शब्‍द भी चर्चा में आ गया. इससे पहले आपने शायद ही सेंगोल के बारे में सुना हो. सेंगोल भारत की धरोहर है, लेकिन इसे भुला दिया गया था. 24 मई को गृह मंत्री अमित शाह ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के दौरान सेंगोल के बारे में लोगों को जानकारी दी और इसका महत्‍व बताया. साथ ही बताया कि सेंगोल को लोकसभा में स्पीकर के पास रखा जाएगा. प्रधानमंत्री कार्यालय को सेंगोल के बारे में करीब 2 साल पहले पद्मा सुब्रमण्यम की एक चिट्ठी के जरिए पता चला था. इसके बाद सेंगोल को ढूंढने का काम शुरू हुआ. आइए आपको बताते हैं कौन हैं पद्मा सुब्रमण्‍यम और सेंगोल से जुड़ी खास बातें.

कौन हैं पद्मा सुब्रमण्‍यम

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पद्मा सुब्रमण्यम भरतनाट्यम की प्रसिद्ध नृत्यांगना हैं. 1943 में जन्‍मीं नृत्‍यांगना के पिता कृष्णस्वामी सुब्रह्मण्यम प्रसिद्ध फिल्म निर्माता थे और मां मीनाक्षी सुब्रह्मण्यम संगीतकार थीं. पद्मा ने संगीतमें ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की और डांस में पीएचडी किया. उन्होंने कई रिसर्च पेपर और किताबें भी लिखीं हैं. वे अब तक 100 से ज्यादा अवॉर्ड्स से सम्‍मानित हो चुकी हैं. 1983 में पद्मा सुब्रमण्यम को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया था. इसके अलावा वे भारत सरकार की ओर से पद्मश्री और पद्मभूषण जैसे पुरस्कार भी प्राप्‍त कर चुकी हैं.

क्‍या है सेंगोल

सेंगोल शब्द तमिल के सेम्मई शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ नीतिपरायणता होता है.  इसे तमिलनाडु के एक प्रमुख धार्मिक मठ के मुख्य आधीनम (पुरोहितों) का आशीर्वाद प्राप्त है. न्याय के प्रेक्षक के रूप में, अपनी अटल दृष्टि के साथ देखते हुए, हाथ से उत्कीर्ण नंदी इसके शीर्ष पर विराजमान हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सेंगोल को ग्रहण करने वाले व्यक्ति को न्यायपूर्ण और निष्पक्ष रूप से शासन करने का आदेश होता है और यह बात सबसे अधिक ध्यान खींचने वाली है- लोगों की सेवा करने के लिए चुने गए लोगों को इसे कभी नहीं भूलना चाहिए. 

क्‍या संदेश देता है सेंगोल

सेंगोल का जनक सी. राजगोपालचारी को कहा जाता है. सी. राजगोपालचारी चोल साम्राज्य से काफी प्रेरित थे. चोल साम्राज्य में जब भी एक राजा से दूसरे राजा के पास सत्ता का हस्तांतरण होता था, तब इस तरह का सेंगोल दूसरे राजा को दिया जाता था, जो कि सत्ता हस्तांतरण को दर्शाता था. सेंगोल का निर्माण चेन्नई के एक सुनार वुमुदी बंगारू चेट्टी द्वारा किया गया था, जिसके बाद इसे लॉर्ड माउंटबैटन द्वारा 15 अगस्त, 1947 को पंडित जवाहरलाल नेहरू को सौंपा गया था, तब से यह प्रथा बनी हुई है.

कैसा दिखता है सेंगोल

सेंगोल एक पांच फीट लंबी छड़ी होती है, जिसके सबसे ऊपर भगवान शिव के वाहन कहे जाने वाली नंदी विराजमान होते हैं. कहा जाता है कि चोल वंश के लोग भगवान शिव के परम भक्त थे, इसीलिए राजदंड में शिवजी के परम भक्त नंदी की आकृति होती थी. नंदी न्याय व निष्पक्षता को दर्शाते हैं.

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