3, 4 और 5 स्टार होटल में क्या फर्क है, कैसे और कौन तय करता है इनकी रेटिंग? आप में से ज्यादातर लोग नहीं जानते होंगे जवाब
होटल्स के मामले में हम सब ये तो जानते हैं कि जितने कम स्टार्स, उतनी कम सुविधाएं. लेकिन कितने स्टार वाले होटल में क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं, इन्हें रेटिंग कौन देता है और ये कैसे तय होती है, इसके बारे में ज्यादातर लोगों को जानकारी नहीं है. यहां जानिए सबकुछ.
जब हम कहीं घूमने के लिए जाते हैं तो ठहरने के लिए होटल भी बुक करवाते हैं. किसी भी होटल को हम अपने बजट के हिसाब से बुक करते हैं. इसके लिए होटल की सुविधाएं और रिव्यूज देखने के अलावा 3 स्टार, 4 स्टार और 5 स्टार जैसी रेटिंग्स भी देखते हैं. इन रेटिंग्स के हिसाब से इन होटल्स में ठहरने की कीमत और सुविधाएं भी दी जाती हैं. जितने कम स्टार्स, उतनी कम सुविधाएं. लेकिन क्या आपने सोचा कि आखिर होटल्स की रेटिंग तय कौन करता है और ये कैसे तय होती है? यहां जानिए इसके बारे में.
किस होटल में क्या सुविधाएं
1 स्टार- वन स्टार होटल में रहने की व्यवस्था एकदम साधारण होती है और कीमत काफी कम होती है. आसानी से इन होटल्स को अफोर्ड किया जा सकता है. इसकी सुविधाओं की बात करें तो साफ-सुथरा रूम, क्लीन बेडशीट, टॉयलेटरिज प्रोवाइड करना, गर्म-ठंडे पानी की व्यवस्था वगैरह शामिल है.
2 स्टार- ये सुविधाओं के मामले में वन स्टार से बेहतर है. रूम का साइज वगैरह थोड़ा बड़ा हो सकता है. इसमें एक रात ठहरने के लिए करीब 1500 रुपए तक देने पड़ सकते हैं.
3 स्टार- थ्री स्टार होटल का रूम साइज थोड़ा बड़ा होता है. इसमें ज्यादातर कमरों में एसी लगा होता है और वाईफाई की सुविधा भी दी जाती है. दरवाजों में फिटेड लॉक होते हैं और पार्किंग की सुविधा भी होटल की ओर से दी जाती है. इसका किराया करीब 2000 रुपए तक हो सकता है.
4 स्टार- फोर स्टार होटल में सुइट रूम होते हैं और बाथरूम में बाथटब वगैरह लगे होते हैं. इसके अलावा वाई फाई, मिनी बार, फ्रिज वगैरह की सुविधाएं दी जाती हैं.
5 स्टार- फाइव स्टार होटल्स में में हॉस्पिटेलिटी पर खास ध्यान दिया जाता है. इसमें गेस्ट के आरामदायक स्टे और लग्जरी सुविधा का विशेष खयाल रखा जाता है. गेस्ट को कई मल्टी क्लास सुविधाएं दी जाती हैं. 24 घंटे कॉफी वगैरह की सुविधा मिलती है. इसके कमरे का साइज काफी बड़ा होता है. इन होटल्स में जिम, स्विमिंग पूल जैसी भी सुविधाएं होती हैं.
कौन देता है इन्हें रेटिंग
पर्यटन मंत्रालय के अधीन एक कमेटी है, जिसे होटल एंड रेस्टोरेंट अप्रूवल एंड क्लासिफेक्शन कमेटी कहा जाता है, ये होटल को रेटिंग देने का काम करती है. इस कमेटी के भी दो विंग होते हैं. इसमें से एक विंग एक से तीन स्टार और दूसरी विंग चार और पांच स्टार रेटिंग के मामले को देखती है. हालांकि आजकल तमाम होटल्स अपने हिसाब से ही स्टार रेटिंग को क्लेम करने लगे हैं.
कैसे तय होती है ये रेटिंग
किस होटल को कौन सी रेटिंग दी जाए, एक एक पैरामीटर पर तय किया जाता है. इसके लिए होटल द्वारा रेटिंग के लिए अप्लाई करने के बाद एक टीम आकर विजिट करती है और होटल की साफ-सफाई, वहां की सुविधाएं, कमरे के साइज, एसेसरीज वगैरह को देखती है और गाइडलाइन्स के मुताबिक अन्य तमाम पैरामीटर्स पर इन सुविधाओं को परखती है. इसके बाद ही होटल को रेटिंग देने का काम किया जाता है.
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