चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत की स्‍पेस एजेंसी इसरो (ISRO) ने अपना पहला सौर मिशन आदित्‍य एल-1 लॉन्‍च किया, जो अभी अपने गंतव्‍य की ओर यात्रा कर रहा है. अब इसरो की नजर सौर मंडल के सबसे चमकीले ग्रह शुक्र (Venus) पर है. इसको लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्‍यक्ष एस सोमनाथ ने कहा है कि शुक्र के लिए मिशन पहले से ही कॉन्फ़िगर किया जा चुका है और भविष्य के उद्देश्य के लिए पेलोड विकसित किए गए हैं.

INSA के कार्यक्रम में कही ये बातें

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इसरो प्रमुख ने दिल्‍ली में भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (Indian National Science Academy-INSA) के कार्यक्रम के दौरान कहा कि शुक्र एक बहुत ही दिलचस्प ग्रह है. इसकी खोज से अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में तमाम सवालों के जवाब मिल सकते हैं. उन्‍होंने आगे कहा कि शुक्र ग्रह का वातावरण बहुत सघन है. वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी से 100 गुना अधिक है और यह acids से भरा है. 

आप इसकी सतह को खोद नहीं सकते हैं.आप नहीं जानते कि इसकी सतह कठोर है या नहीं. हम यह सब समझने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? क्‍योंकि पृथ्वी एक दिन शुक्र जैसी बन सकती है. मुझे नहीं पता. लेकिन हो सकता है कि 10,000 साल बाद पृथ्वी अपनी विशेषताएं बदल दे. पृथ्वी ऐसी कभी नहीं थी. बहुत समय पहले यह रहने योग्य जगह नहीं थी. सूर्य से सबसे करीब ग्रहों में शुक्र दूसरे नंबर पर आता है और पृथ्‍वी का पड़ोसी ग्रह है. ये चार आंतरिक, स्थलीय (या चट्टानी) ग्रहों में से एक है, और इसे अक्सर पृथ्वी का जुड़वां कहा जाता है क्योंकि यह आकार और घनत्व में समान है.

ये हैं हाल के वीनस मिशन

हाल के वीनस मिशनों में ईएसए का वीनस एक्सप्रेस और जापान का अकात्सुकी वीनस क्लाइमेट ऑर्बिटर शामिल हैं. ESA के वीनस एक्सप्रेस ने साल 2006 से 2016 के बीच शुक्र ग्रह का चक्कर लगाया था. वहीं, जापान का अकात्सुकी वीनस क्लाइमेट ऑर्बिटर 2016 से अभी तक सक्रिय है. नासा के पार्कर सोलर प्रोब ने शुक्र ग्रह के कई चक्कर लगाए हैं. 9 फरवरी, 2022 को, नासा ने घोषणा की कि उनके अंतरिक्ष यान ने फरवरी 2021 की अपनी उड़ान के दौरान अंतरिक्ष से शुक्र की सतह की पहली विजिबिल लाइट पिक्‍चर्स ली थीं.