उत्तराखंड की चारधाम यात्रा का इंतजार कर रहे श्रद्धालुओं का इंतजार खत्म, Akshaya Tritiya पर खुलेंगे केदारनाथ के कपाट
Uttrakhand Char Dham Yatra Update: 10 मई को अक्षय तृतीया के दिन केदारनाथ धाम के कपाट खुलने जा रहे हैं. इसके लिए जोरदार तैयारियां की जा रही हैं. जानिए हर साल क्यों बंद किए जाते हैं ये कपाट.
Uttrakhand Char Dham Yatra: उत्तराखंड की चारधाम यात्रा का इंतजार कर रहे श्रद्धालुओं के लिए एक अच्छी खबर है. उनका ये इंतजार अब खत्म होने वाला है. कल 10 मई को अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) के दिन सुबह 7 बजे केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे. साथ ही गंगोत्री और यमुनोत्री धाम कपाट भी 10 मई को ही खोले जाएंगे. हालांकि बद्रीनाथ धाम के कपाट 12 मई 2024 को सुबह 6 बजे ब्रह्म मुहूर्त में खोले जाएंगे. इसके बाद श्रद्धालु उत्तराखंड के चार धाम की यात्रा कर सकते हैं.
40 क्विंटल फूलों से सजाया जा रहा है केदारनाथ धाम
बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय का कहना है कि केदारनाथ धाम के कपाट खोलने के तैयारियां जोरों पर चल रही हैं और मंदिर को 40 क्विंटल फूलों से सजाया जा रहा है. 10 मई को पूजा-अर्चना और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ केदारनाथ धाम के कपाट को भक्तों के लिए खोल दिया जाएगा. बता दें कि बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड के चार धाम कहलाते हैं. हर साल देशभर से तीर्थयात्री यहां श्रद्धाभाव से पहुंचते हैं.
हर साल 6 महीने के लिए बंद होते हैं कपाट
बता दें कि हर साल केदारनाथ धाम के कपाट भाई दूज के दिन 6 महीने के लिए बंद कर दिए जाएंगे. इसके बाद अक्षय तृतीया पर खुलते हैं. इन 6 महीनों में बाबा की पूजा ओंकारेश्वर मंदिर में होती है. कपाट बंद होने की तिथि की घोषणा विजयदशमी के दिन होती है और कपाट खुलने की घोषणा महाशिवरात्रि के दिन की जाती है. वहीं बद्रीनाथ धाम के कपाट आमतौर पर केदारनाथ धाम के दो दिनों बाद खुलते हैं.
ये है कपाट बंद होने की वजह
बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम उत्तराखंड के चमोली और रुद्रप्रयाग जिले में हैं. हर साल अक्टूबर से नवंबर के महीनों में यहां पर बर्फबारी शुरू हो जाती है. इसके कारण आवागमन के रास्ते बाधित हो जाते हैं. इस कारण से हर साल इन धामों के कपाट को बंद कर दिया जाता है. इस बीच भगवान शिव की मूर्ति को उखीमठ (ओंकारेश्वर मंदिर) में स्थापित कर दिया जाता है और वहां उनकी पूजा होती है. कपाट खुलने के बाद इन्हें पुनर्स्थापित कर दिया जाता है. वहीं बद्रीनाथ के कपाट बंद होने के बाद उनकी पूजा जोशीमठ के नरसिम्हा मंदिर में स्थित बद्रीविशाल 'उत्सव मूति' के तौर पर चलती है.