Rarest Blood Group की कैटेगरी में शामिल हैं ये 3 ब्लड ग्रुप्स, Blood Doner Day पर जानें इनके बारे में…
World Blood Donor Day: हर साल 14 जून को अंतरराष्ट्रीय रक्तदान दिवस (World Blood Donor Day) मनाया जाता है, ताकि लोगों को रक्तदान के फायदे और इसकी अहमियत को समझाया जा सके और उन्हें रक्तदान के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.
3 Rarest Blood Groups: हर इंसान के शरीर में ए, बी, एबी, ओ पॉजिटिव और नेगेटिव जैसे 8 तरह के ब्लड ग्रुप होते हैं. लेकिन इनके अलावा भी कुछ ब्लड ग्रुप ऐसे होते हैं, जिन्हें बेहद दुर्लभ ब्लड ग्रुप की श्रेणी में रखा गया है. आप में से तमाम लोगों ने इनका नाम भी नहीं सुना होगा. हर साल 14 जून को अंतरराष्ट्रीय रक्तदान दिवस (World Blood Donor Day) मनाया जाता है, ताकि लोगों को रक्तदान के फायदे और इसकी अहमियत को समझाया जा सके और उन्हें रक्तदान के लिए प्रोत्साहित किया जा सके. आइए आपको इस मौके पर बताते हैं ऐसे 3 ब्लड ग्रुप्स के बारे में जिन्हें Rarest Blood Group की कैटेगरी में शामिल किया गया है.
गोल्डन ब्लड ग्रुप (Golden Blood Group)
ये दुर्लभ ब्लड ग्रुप माना जाता है. इसका नाम है Rh-null. ये ब्लड ग्रुप उन लोगों के शरीर में पाया जाता है, उनके शरीर का Rh न तो पॉजिटिव होता है और न ही नेगेटिव होता है यानी Rh फैक्टर null होता है. आज तक दुनिया में 50 से भी कम लोगों में गोल्डन ब्लड पाया गया है. 1961 में पहली बार ऑस्ट्रेलियाई की एक आदिवासी महिला के शरीर में ये ब्लड ग्रुप पाया गया था. इस ब्लड ग्रुप का खून अन्य किसी भी ब्लड ग्रुप से आसानी से मैच कर जाता है. लेकिन अगर गोल्डन ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को इमरजेंसी में ब्लड की जरूरत हो तो बहुत परेशानी होती है क्योंकि ये सिर्फ Rh-null ग्रुप को ही स्वीकार करता है. गोल्डन ब्लड दुनिया के सबसे महंगे ब्लड में से एक है.
बॉम्बे ब्लड ग्रुप (Bombay Blood Group)
Bombay Blood Group को hh ब्लड ग्रुप या Oh फेनोटाइप के रूप में भी जाना जाता है. ये 10,000 लोगों में से किसी एक व्यक्ति में पाया जाता है. बॉम्बे ब्लड ग्रुप वाले लोग भी O− होते हैं, लेकिन इनके ब्लड में लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर A और B दोनों एंटीजन नहीं होते हैं और इस कारण से बॉम्बे ब्लड ग्रुप के व्यक्ति H एंटीजन का उत्पादन करने में असमर्थ हो जाते हैं. H एंटीजन A,B और O ब्लड ग्रुपिंग सिस्टम के लिए जरूरी होता है. Bombay Blood Group की खोज 1952 में डॉ. वाई. एम. भेंडे ने की थी, चूंकि ये खोज बॉम्बे में की गई थी, इस कारण इसे बॉम्बे ब्लड ग्रुप कहा जाता है. बॉम्बे ब्लड ग्रुप वाले लोग सिर्फ समान ब्लड ग्रुप वालों से ही ब्लड ले सकते हैं.
AB- ग्रुप भी काफी रेयर
AB नेगेटिव 8 ब्लड ग्रुप्स में से सबसे रेयर ग्रुप है. संयुक्त राज्य अमेरिका में हर 167 लोगों में से केवल 1 व्यक्ति में यह पाया जाता है. चूंकि AB− की लाल कोशिकाओं पर A और B दोनों एंटीजन होते हैं, इसलिए यह अन्य सभी प्रमुख Rh नेगेटिव ब्लड ग्रुप से मैच खाता है. यह सार्वभौमिक प्लाज्मा दाता है, और किसी भी रक्त समूह का कोई भी व्यक्ति AB रक्त से प्लाज्मा प्राप्त कर सकता है.