Swami Vivekananda Death Anniversary: सफलता के शिखर तक पहुंचा सकते हैं स्वामी विवेकानंद के ये विचार
Swami Vivekananda Motivational Thoughts: स्वामी विवेकानंद सिर्फ 39 साल तक ही जीवित रहे, लेकिन छोटे से जीवन में ही वो लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए थे. उन्होंने योग और वेदांत के दर्शन को पश्चिम देशों तक पहुंचाने में बहुत अहम भूमिका निभाई.
Swami Vivekananda Death Anniversary: स्वामी विवेकानंद ने बहुत लंबा जीवन तो नहीं जीया, लेकिन जितना भी जीया, उसमें इतना कुछ कर गए कि आज उनकी गिनती महापुरुषों में की जाती है. 12 जनवरी को जन्मे स्वामी विवेकानंद सिर्फ 39 साल तक ही जीवित रहे, लेकिन छोटे से जीवन में ही वो लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए थे. विवेकानंद का असली नाम नरेंद्र दत्त था. उन्हें स्वामी विवेकानंद नाम उनके गुरू रामकृष्ण परमहंस ने दिया था.
स्वामी विवेकानंद एक आध्यात्मिक गुरु थे. उन्होंने योग और वेदांत के दर्शन को पश्चिम देशों तक पहुंचाने में बहुत अहम भूमिका निभाई. शिकागो में विश्व धर्म संसद में दिया उनका भाषण आज भी अमर है. आज 4 जुलाई को उनकी पुण्यतिथि (Swami Vivekananda Death Anniversary) है. इस मौके पर आपको बताते हैं उनके द्वारा कही गई वो बातें जो आपके लिए आज के समय में भी काफी मददगार हैं.
स्वामी विवेकानंद के प्रेरक विचार
सफल होने का एक ही तरीका है. एक विचार लो, उस विचार को अपना जीवन बना लो, उसे बारे में सोचो, उसके सपने देखो, उस विचार को जीयो. अपने मस्तिष्क, मांसपेशियों, नसों, शरीर के हर हिस्से को उस विचार में डूब जाने दो और बाकी सभी विचार को किनारे रख दो.
एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ.
उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए.
ब्रह्मांड की सभी शक्तियां हमारे अंदर हैं. यह हम ही हैं जिन्होंने अपनी आंखों के सामने हाथ रखा है और रोते हुए कहा कि अंधेरा है.
सच को कहने के हजारों तरीके हो सकते हैं और फिर भी सच तो वही रहता है.
हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का ध्यान रखिए कि आप क्या सोचते हैं. शब्द गौण हैं, विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं.
जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिये, नहीं तो लोगो का विश्वास उठ जाता है
जितना हम दूसरों के साथ अच्छा करते हैं उतना ही हमारा हृदय पवित्र हो जाता है और भगवान उसमें बसता है.
इस दुनिया में सभी भेद-भाव किसी स्तर के हैं, न कि प्रकार के, क्योंकि एकता ही सभी चीजों का रहस्य है.
सबसे बड़ा धर्म है अपने स्वभाव के प्रति सच्चा होना. स्वयं पर विश्वास करो.
स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढ़ाया और अभ्यास कराया गया होता, तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दुःख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता.
अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा, ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है, और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है.