भारत अपना 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. 26 जनवरी को भारत का संविधान लागू हुआ था. इस दिन देश की राजधानी दिल्‍ली में कर्तव्‍यपथ पर परेड का आयोजन किया जाता है. अलग-अलग झांकियों का प्रदर्शन किया जाता है. इस परेड में देश की तीनों सेना जैसे थलसेना, जलसेना और वायुसेना भी शामिल होती हैं. देश के राष्‍ट्रपति तिरंगा फहराते हैं. लेकिन क्या आपने सोचा है कि भारतीय तिरंगे का क्या इतिहास है, इसे किसने बनाया? इसमें शामिल रंगों का क्या महत्व है? जानिए तिरंगे झंडे से जुड़ी रोचक बातें.  

ये है राष्ट्रीय ध्वज की जर्नी

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आपको बता दें कि भारत का पहला झंडा 1906 में अस्तित्व में आया था. 7 अगस्त 1906 को इसे पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क), कलकत्ता में पहराया गया था. इसके बाद से भारत के झंडे में कई बदलाव देखे गए. ऐसा माना जाता है कि भारत का झंडा कुल 6 बार बदला जा चुका है. जो कि इस प्रकार हैं-

पहला झंडा

भारत का पहला झंडा 1906 में अस्तित्व में आया था. 7 अगस्त 1906 को इसे पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क), कलकत्ता में पहराया गया था. इस झंडे में तीन रंग हरा, पीला और लाल रंग की पट्टियां देखने को मिलती है. इसमें बीच में वन्देमातरम लिखा हुआ था.

दूसरा झंडा

1907 में मैडम कामा और उनके कुछ क्रांतिकारी साथियों, जिन्हें भारत से निर्वासित कर दिया गया था, ने पेरिस में भारत का नया झंडा फहराया था. इसमें केसरिया, पीला और हरे रंग की पट्टियां थी.

तीसरा झंडा

1917 में डॉ. एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने एक नया झंडा फहराया. इस झंडे में पांच लाल और 4 हरे रंग की पट्टियां थी. इसके साथ ही इसमें सप्तऋशि को दर्शाते सात तारे अर्द्ध चंद्र और सितारे थे. बाएं साइड कोने में यूनियन जैक भी था इस झंडे में.  

चौथा झंडा

1921 में ही भारत को अपना चौथा झंडा भी मिल गया. अखिल भारत कांग्रेस कमेटी के सेशन के दौरान आंध्र प्रदेश के एक व्यक्ति ने महात्मा गांधी को यह झंडा दिया था. इसमें सफेद, हरे और लाल रंग की पट्टियां थीं. वहीं देश के विकास को दर्शाने के लिए बीच में चरखा भी था. इस तिरंगे का निर्माण करने वाले शख्स का नाम पिंगली वेंकैया है.

पांचवा झंडा

भारत का झंडा 1931 में एक बार फिर से बदला. इस झंडे को इंडियन नेशनल कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर अपनाया था. इस झंडे में केसरिया, सफेद और हरे रंग की पट्टियां थीं. हालांकि चरखा इस बार भी केंद्र में था.   

तिरंगा झंडा

1931 में बना झंडा ही आज के वर्तमान भारतीय तिरंगे से काफी मिलता जुलता है. हालांकि 1947 में इसमें थोड़ा संशोधन करते हुए चरखे के स्थान पर अशोक चक्र को रखा गया.   

तिरंगा बना राष्ट्रीय ध्वज कब बना?

तिंरगे को भारतीय ध्वज के तौर पर मान्यता मिलने में करीब 45 साल का समय लग गया. भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज को इसके वर्तमान स्‍वरूप में 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था. शुरुआत में इसे स्वराज झंडा कहा जाता था. इसके बाद इसे स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मौके पर फहराया जाता है. 

क्या कहते हैं ध्‍वज के रंग

भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज की ऊपरी पट्टी में केसरिया रंग है जो देश की शक्ति और साहस को दर्शाता है. बीच में स्थित सफेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्‍य का प्रतीक है. निचली हरी पट्टी उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती है. तिरंगे झंडे में मौजूद चक्र को विधि का चक्र कहते हैं जो तीसरी शताब्‍दी ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर से लिया गया है. इस चक्र को प्रदर्शित करने का आशय यह है कि जीवन गति‍शील है और रुकने का अर्थ मृत्‍यु है.