Rang Panchami 2023: देवताओं के साथ होली खेलने का दिन है रंग पंचमी, नोट कर लें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
हर साल चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि के रंग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन लक्ष्मी-नारायण के राधा-कृष्ण स्वरूप की विशेष रूप से पूजा की जाती है. यहां जानिए रंग पंचमी से जुड़ी खास बातें.
होली 2023 का त्योहार अभी खत्म नहीं हुआ है. अभी रंग पंचमी (Rang Panchami) फेस्टिवल बाकी है. हर साल चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि के रंग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. ये दिन देवताओं के साथ होली खेलने का दिन है. मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान के तमाम हिस्सों में रंग पंचमी काफी धूमधाम से मनाया जाता है. मध्यप्रदेश के इंदौर की तो रंग पंचमी (Rang Panchami of Indore) पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. दूर-दूर से लोग इस त्योहार का आनंद लेने के लिए आते हैं. इस बार रंग पंचमी का त्योहार 12 मार्च को है. यहां जानिए इस त्योहार के शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि के बारे में.
रंग पंचमी का महत्व
रंग पंचमी को लेकर मान्यता है कि इस दिन देवताओं के साथ होली खेली जाती है. इस दिन लोग अपने आराध्य का ध्यान करके आसमान की ओर गुलाल को फेंकते हैं. माना जाता है कि ऊपर की ओर फेंका ये गुलाल उनके आराध्य तक पहुंचता है और इससे उनके आराध्य प्रसन्न होते हैं. फेंका गुलाल जब वापस लोगों पर गिरता है तो उसे ईश्वर का प्रसाद माना जाता है. मान्यता है कि इससे व्यक्ति के तामसिक और राजसिक गुणों का नाश होता है और हर तरफ सकारात्मकता का माहौल पैदा हो जाता है.
रंग पंचमी शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार चैत्र मास की पंचमी 11 मार्च 2023 को रात 10:05 बजे से शुरू होगी और 12 मार्च 2023 को रात 10:01 बजे समाप्त होगी. इस दिन अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:07 से लेकर 12:55 बजे तक और विजय मुहूर्त दोपहर 02:30 से लेकर 03:17 बजे तक रहेगा.
राधा कृष्ण की विशेष पूजा
रंग पंचमी के दिन लक्ष्मी-नारायण के राधा-कृष्ण स्वरूप की विशेष रूप से पूजा की जाती है. मान्यता है कि इससे कुंडली में मौजूद बड़े-बड़े दोष भी समाप्त हो जाते हैं और जीवन में सुख समृद्धि और खुशियों का वास होता है. रंग पंचमी को श्रीपंचमी के नाम से भी जाना जाता है.
जानें क्या है पूजा विधि
रंग पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि के बाद राधा-कृष्ण की तस्वीर को उत्तर दिशा में एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर रखें. चौकी पर तांबे का कलश पानी भरकर रखें. फिर रोली, चंदन, अक्षत, गुलाब के पुष्प, खीर, पंचामृत, गुड़ चना आदि का भोग लगाएं. भगवान को गुलाल अर्पित करें और आसन पर बैठकर ‘ॐ श्रीं श्रीये नमः’ मंत्र का जाप स्फटिक या कमलगट्टे की माला से करें. इसके अलावा 'श्रीराधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र' का पाठ करें. इसके बाद विधिवत आरती करें और भोग आदि अर्पित करें. फिर भगवान से भूल चूक की क्षमायाचना करें और परिवार के संकट दूर करने की प्रार्थना करें. कलश में रखे जल को घर के हर कोने में छिड़कें. जिस स्थान पर तिजोरी या धन रखने की व्यवस्था है, वहां जरूर छिड़कें. मान्यता है कि इससे घर में बरकत आती है.
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