Quit India Movement Day in India: भारत की आजादी से जुड़ी ऐसी तमाम घटनाएं हैं, जो एक अविस्‍मरणीय इतिहास बन चुकी हैं. इन्‍हीं में से एक है, भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement). आपने भी इसके बारे में जरूर पढ़ा होगा या अपने बुजुर्गों से सुना होगा. भारत छोड़ो आंदोलन साल 1942 में आज ही के दिन यानी 8 अगस्‍त को शुरू हुआ था.

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राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी. उस समय दूसरे विश्‍व युद्ध में उलझे इंग्‍लैंड को भारत में ऐसे आंदोलन की उम्‍मीद नहीं थी. पूरी ब्रिटिश हुकूमत इससे हिल गई थी. 1857 के बाद देश की आजादी के लिए चलाए जाने वाले सभी आंदोलनों में 1942 का ये आंदोलन सबसे विशाल और सबसे तीव्र आंदोलन साबित हुआ था. आइए आपको बताते हैं इससे जुड़ी खास बातें.

भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़ी खास बातें

1. भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत बापू ने अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई अधिवेशन से की थी.

उस समय बापू ने मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान या अगस्त क्रांति मैदान में अपना ऐतिहासिक भाषण दिया था और इस भाषण में 'करो या मरो' का नारा दिया था. उस समय उनके साथ तत्कालीन कांग्रेस के कई बड़े नेता मौजूद थे.

2. भाषण के दौरान उन्होंने सभी कांग्रेसियों और भारतीयों को अहिंसा के साथ करो या मरो के जरिए अंतिम आजादी के लिए अनुशासन बनाए रखने को कहा. आंदोलन छेड़ने के बाद ब्रिटिश सरकार ने कांग्रेस पर कहर ढाना शुरू कर दिया. नेताओं की गिरफ्तारी की जाने लगी. देशभर में कांग्रेस के ऑफिसों पर छापे पड़े. उनके फंड सीज़ कर दिए गए.

3. शुरुआत में तो ये आंदोलन शांतिपूर्ण रहा, लेकिन ब्रिटिश सरकार के छापेमारी से प्रदर्शनकारी अचानक हिंसक हो गए और उन्होंने पोस्ट ऑफिस, सरकारी बिल्डिंग और रेलवे स्टेशनों को निशाना बनाना शुरू कर दिया. इसमें तोड़ फोड़ की ढेर सारी घटनाएं हुईं और सरकार ने हिंसा की इन गतिविधियों के लिए गांधी जी को उत्तरदायी ठहराया.

4. इसके बाद अंग्रेजी हुकूमत ने गांधी जी और आंदोलन के सभी प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया. सभी प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी के बाद ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सेशन को अरुणा आसफ अली ने चलाया. 

5. पुलिस और सरकार की तमाम चेतावनियों के बावजूद भारी संख्‍या में लोग मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान में इकट्ठे हुए. तब अरुणा आसफ अली ने इस भीड़ के सामने पहली बार भारत का झंडा फहराया. जो आंदोलन के लिए एक प्रतीक साबित हुआ.

6. सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस आंदोलन में 900 से ज्‍यादा लोग मारे गए, 60,000 से ज्‍यादा लोग गिरफ्तार हुए. अंग्रेजों की दमन नीति के बावजूद ये आंदोलन रुकने का नाम नहीं ले रहा था. लोग बड़ी संख्‍या में अंग्रेजों के खिलाफ सड़कों पर उतर आए थे. सरकारी इमारतों पर कांग्रेस के झंडे फहराने शुरू कर दिए थे. किसान, छात्रों ने भी संघर्ष शुरू कर दिया था. कामगार हड़ताल पर चले गए और सरकारी कर्मचारियों ने काम करना बंद कर दिया था और गिरफ्तारियां देनी शुरू कर दिया था.

7. इस आंदोलन ने देश की आजादी में बहुत बड़ी भूमिका निभाई. इस आंदोलन ने 1943 के अंत तक भारत को संगठित कर दिया था और ब्रिटिश राज की नींव को पूरी तरह से हिलाकर रख दिया था. आखिरकार आंदोलन के अंत तक ब्रिटिश सरकार को ये संकेत देना पड़ा था कि जल्‍द ही देश की सत्‍ता को भारतीयों के हाथ में सौंप दिया जाएगा. इसके बाद गांधी जी ने आंदोलन को बंद कर दिया और कांग्रेसी नेताओं सहित लगभग 100,000 राजनैतिक बंदियों को रिहा किया गया.