दिल्ली-एनसीआर में पिछले सात दिन में वायु प्रदूषण ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है. पिछले कई दिनों से बृहस्‍पतिवार तक दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 के पार रहा है. गंभीर प्रदूषण के हालातों को देखते हुए केंद्र सरकार ने हेल्‍थ एडवाइजरी जारी की है और सभी राज्‍यों और केन्द्र शासित प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव को चिट्ठी लिखी है.

एडवायजरी में ये कहा गया

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इस एडवायजरी में आमजन, नौकरी करने वालों और बच्चों में जागरुकता फैलाने के निर्देश दिए गए हैं.इसके अलावा लोगों को फिजूल में बाहर घूमने से रोकने, डीजल आधारित जेनरेटर और गाड़ियों पर नियंत्रण की सलाह दी गई है. साथ ही पहले से किसी बीमारी से ग्रस्त लोगों और बुजुर्गों को चिकित्सकीय परामर्श लेने के लिए कहा गया है. साथ ही सभी राज्‍यों को लक्षण आधारित दवाओं का स्टॉक मेंटेंन करने के निर्देश दिए गए हैं. ICMR की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2019 में भारत में 1.7 मिलियन लोगों की मौत का बड़ा कारण वायु प्रदूषण रहा है. भारत में प्रदूषण के बड़े कारणों में औद्योगिक उत्सर्जन, वाहनों का उत्सर्जन, निर्माण धूल, कचरे को खुले में जलाना आदि शामिल हैं. 

क्‍या है AQI

हवा की क्वालिटी मापने के लिए एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index-AQI) का इस्तेमाल किया जाता है. AQI एक ईकाई है, जिसके आधार पर ये पता चलता है कि उस जगह की हवा सांस लेने लायक है या नहीं.  AQI में 8 प्रदूषक तत्वों सल्फर PM10, PM2.5, NO2, SO2, CO, O3, NH3 और PB को देखा जाता है कि उनकी मात्रा कितनी है. अगर उनकी तय लिमिट से ज्यादा मात्रा होती है, तो समझ जाता है कि वहां की हवा प्रदूषित है.

AQI के छह मानक

एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) के छह मानक  होते हैं, जो ये बताते हैं कि शहर की हवा सांस लेने योग्‍य है या नहीं. ये छह मानक हैं- अच्छी, संतोषजनक,सामान्‍य, खराब, बहुत खराब और गंभीर जैसी कैटेगरी शामिल हैं. 0-50 के बीच 'अच्‍छी', 51-100 के बीच 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच 'सामान्य', 201 से 300 के बीच 'खराब', 301 से 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है. 

कैसे मापी जाती है एयर क्‍वालिटी

एयर क्‍वालिटी को मापने के लिए अलग-अलग डिवाइस होती है, जिनके जरिए एक्यूआई का पता लगाया जा सकता है. सरकार भी कई जगहों पर ये मीटर लगाकर रखती है. इससे पता लग जाता है कि उस हवा की क्या स्थिति है. इसमें हर तत्व का सही पता उसके घंटों के आधार पर लगता है. जैसे कार्बन डाइ ऑक्साइड की मात्रा के लिए 6 घंटे रखना होता है, ऐसे ही दूसरे तत्वों के लिए अलग व्यवस्था है. ऐसे में इसे पूरे 24 घंटे एक स्थान पर रखकर उस जगह की हवा की गुणवत्‍ता का पता लगाया जाता है.