10 सितंबर से श्राद्ध पक्ष यानी पितृ पक्ष शुरू हो चुका है. पितृ पक्ष 15 दिनों तक चलता है. अमावस्‍या तिथि के साथ इसका समापन होता है. इस बार पितृ पक्ष 25 सितंबर को समाप्‍त होगा. पितृ पक्ष के नाम से ही स्‍पष्‍ट है कि ये दिन पितरों को समर्पित होते हैं. इन दिनों में पितरों को याद करते हुए उनके निमित्‍त तर्पण किया जाता है.  श्राद्ध किया जाता है. इन 15 दिनों के बीच किसी भी तरह के शुभ काम को करने की मनाही होती है. यहां तक कि अच्छे काम के बारे में बात करने से भी लोग परहेज करते हैं. हालांकि ज्‍यादातर लोगों को इसकी वजह मालूम नहीं होती, कि इस दौरान शुभ काम क्‍यों वर्जित हैं. ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से जानते हैं इस बारे में.

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पितरों का ऋण उतारने का समय है पितृ पक्ष

ज्योतिषाचार्य का कहना है पितृ पक्ष हमारे पूर्वजों का ऋण उतारने का समय माना जाता है. आज तक हम जो भी हैं, हमारी जो सामाजिक पहचान है, वो सब कुछ हमारे पितरों की बदौलत है. ऐसे में उन पूर्वजों को याद करने और उनके किए का आभार व्‍य‍क्‍त करने का समय है श्राद्ध पक्ष. चूंकि जिन पूर्वजों ने हमें इतना कुछ दिया, वही आज हमारे बीच नहीं हैं, इस बात का शोक व्‍यक्‍त करते हुए और पितरों के किए हर उपकार को सम्‍मान देने के लिए पितृ पक्ष के दौरान किसी भी तरह के शुभ काम की मनाही है. 

क्‍यों किया जाता है तर्पण

माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पितृलोक से धरती लोक पर आते हैं. इस दौरान पितृ लोक में जल की कमी हो जाती है. ऐसे में वो धरती पर अपने वंशजों के पास आते हैं और देखना चाहते हैं कि उनके वंश के लोग उन्‍हें कितना याद करते हैं. मान्‍यता है कि इस दौरान पितरों के निमित्‍त जो भी तर्पण और श्राद्ध किया जाता है, वो सीधे पूर्वजों तक पहुचता है. इससे उन्‍हें संतुष्टि मिलती है और वे प्रसन्‍न होकर अपने बच्‍चों को आशीष देकर जाते हैं. पितरों का आशीर्वाद बहुत फलित होता है और परिवार में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है. हालांकि इस बीच की गईं तमाम गलतियां कई बार पितृ दोष की वजह बन सकती हैं.

श्राद्ध के दौरान याद रखें ये बातें

  • श्राद्ध पक्ष के दौरान किसी पंडित या अन्‍य सम्‍माननीय व्‍यक्ति को भोजन खिलाने का विधान है. माना जाता है कि ये भोजन उनके जरिए आपके पितरों तक पहुंच रहा है. इसलिए पूरे सम्‍मान के साथ उन्‍हें भोजन खिलाएं.
  • श्राद्ध दोपहर के बाद नहीं करना चाहिए. इसे सुबह या दोपहर चढ़ने से पहले ही कर लेना चाहिए.
  • श्राद्ध के दौरान भोजन खिलाते समय हमेशा दोनों हाथों से खाना परोसना चाहिए.
  • श्राद्ध वाले दिन ब्राह्मण भोज से पहले कभी आप भोजन ग्रहण न करें. उन्‍हें सम्‍मानपूर्वक भोजन कराने के बाद ही कुछ खाएं.
  • भोजन को पूरी शुद्धता से बनाएं. इसके अलावा प्‍याज, लहसुन आदि का इस्‍तेमाल भोजन में भूलकर भी न करें.
  • श्राद्ध पक्ष के दौरान जरूरतमंद लोगों में कपड़े और खाना बांटें. इससे पितरों को शान्ति मिलती है.