Pitru Paksha 2022 : श्राद्ध करते समय जरूर याद रखें ये 6 नियम, ताकि नहीं रहे भूल की कोई गुंजाइश
माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज धरती पर अपने वंशजों से मिलने के लिए आते हैं. ऐसे में पितरों के निमित्त श्राद्ध और तर्पण करके उन्हें भोजन और जल समर्पित किया जाता है.
पितृ पक्ष हमारे पूर्वजों के कर्ज को चुकाने का महीना है. आज हम जो कुछ भी हैं, वो हमारे पूर्वजों की बदौलत ही हैं. माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज धरती पर अपने वंशजों से मिलने के लिए आते हैं. ऐसे में पितरों के निमित्त श्राद्ध और तर्पण करके उन्हें भोजन और जल समर्पित किया जाता है. जिस दिन व्यक्ति की मृत्यु होती है, उसी तिथि पर उसका श्राद्ध भी होता है.
यदि तिथि याद नहीं है, तो श्राद्ध अमावस्या तिथि पर किया जा सकता है. लेकिन श्राद्ध को पूरे नियम के साथ करना चाहिए और कुछ बातों का विशेष रूप से खयाल रखना चाहिए. ज्योतिषाचार्य अरविंद मिश्र बता रहे हैं, श्राद्ध के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
इन 6 नियमों को जरूर याद रखें
- श्राद्ध का भोजन पूरी शुद्धता से बनवाना चाहिए. भोजन बनाने से पहले किचन और गैस को अच्छी तरह से साफ करवाएं और स्नान के बाद ही महिलाएं भोजन तैयार करें. भोजन में प्याज-लहसुन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
- श्राद्ध का भोजन ब्राह्मण को हमेशा सूरज चढ़ने के बाद करवाएं. माना जाता है कि सूर्य की किरणों से ही हमारे पितर भोजन को ग्रहण करते हैं. ऐसे में सूर्य का प्रभाव जितना अधिक होगा, पितरों को भोजन उतने अच्छे से मिल पाएगा.
- जब तक ब्राह्मण को भोजन न करा दें, तब तक स्वयं भी भोजन न करें. ये आपके पितर के प्रति आपकी श्रद्धा को व्यक्त करता है. इसके अलावा ब्राह्मण को भोजन करवाते समय मौन रहें. अगर किसी चीज की जरूरत हो तो इशारे में कहकर मंगवाएं.
- श्राद्ध का भोजन प्रसाद की तरह होता है. इसमें कोई कमी नहीं निकालनी चाहिए. ब्राह्मण को भोजन करवाते समय भी उससे ये न पूछें कि भोजन कैसा बना है. ब्राह्मण भोज के बाद आप स्वयं भी उसे प्रसाद के तौर पर ग्रहण करें.
- श्राद्ध का भोजन या तो पत्तल में खिलाएं या चांदी, कांसे के बर्तन में खिलाएं. कांच या मिट्टी के बर्तन का इस्तेमाल बिल्कुल न करें. ब्राह्मण को भोजन करवाने के बाद उसे श्रद्धानुसार दान-दक्षिणा जरूर दें और चलते समय पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें.
- ब्राह्मण भोज को कराने के बाद पितरों को मन में याद कर भूल चूक के लिए क्षमायाचना करें. इसके बाद अपना व्रत खोलें और प्रसाद ग्रहण करें और पूरे परिवार को करवाएं. रात के समय दक्षिण दिशा में पितरों के नाम का सरसों के तेल का दीपक जलाएं.