कभी सोचा है कि आसमान में उड़ रहे हवाई जहाज में अचानक खत्म हो जाए फ्यूल तो क्या होगा! क्या कभी हुई है ऐसी घटना?
Written By: ज़ीबिज़ वेब टीम
Sat, Sep 07, 2024 02:17 PM IST
इन दिनों एक वेबसीरीज IC814: The Kandahar Hijack की काफी चर्चा है. ये वेब सीरीज 1999 में इंडियन एयरलाइंस के प्लेन IC-814 के हाइजैक पर आधारित है. इस वेब सीरीज में आसमान में एक सीन है जिसमें पायलट हाइजैकर्स से विमान में फ्यूल कम होने की बात कहता है. साथ ही कहता है कि हमें जल्द ही फ्लाइट को लैंड कराना होगा, अगर फ्यूल खत्म हो गया तो विमान क्रैश हो सकता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि उड़ते हुए हवाई जहाज में अगर कभी सचमुच फ्यूल खत्म हो जाए तो क्या होगा? क्या पहले कभी ऐसी कोई घटना घटी है? आइए आपको बताते हैं.
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इंडिकेटर से पायलट को पता चल जाता है?
जब भी हवा में उड़ रहे प्लेन का पेट्रोल खत्म होने लगता है, तो इंडिकेटर की मदद से पायलट को यह पता चल जाता है. हालांकि सामान्यत: ये घटना कम ही होती है क्योंकि उड़ान से पहले फ्लाइट की गहराई से जांच की जाती है. अगर गलती से ईंधन पर ध्यान नहीं दिया गया तो हवाई जहाज क्रैश हो सकता है. हालांकि अतीत में ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं. नीचे की स्लाइड्स में जानिए फ्यूल खत्म होने पर क्या होता है.
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पायलट के पास है क्या ऑप्शन
अगर उड़ते हुए हवाई जहाज में अचानक से फ्यूल खत्म हो जाए तो पायलट की सूझबूझ काम आती है. जानकारों की मानें तो हवाई जहाज को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि वे आपात स्थिति में ग्लाइडिंग भी कर सकते हैं. इसके लिए पायलट्स को खास ट्रेनिंग दी जाती है, जिसके चलते वे विमान को नजदीकी सड़क, नदी या झील में उतार सकते हैं.
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आसमान में फ्यूल भरने की तकनीक
आज के समय में आसमान में उड़ रहे फ्लाइट में फ्यूल भरने की तकनीक मौजूद है. अगर कभी हवाई सफर के बीच में पायलट को पता चले कि हवाई जहाज में फ्यूल खत्म हो गया है तो उसे ये जानकारी कंट्रोल रूम तक भेजनी होती है. कंट्रोल रूम सबसे पास के इलाके से एक फ्यूल से भरे दूसरे फ्लाइट को आसमान में तेजी से भेजता है. जब फ्यूल से भरा प्लेन पहले वाले प्लेन के पास पहुंचता है तो दोनों प्लेन एक दूसरे के साथ पैरेलल एक ही स्पीड में उड़ान भरते हैं.
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लड़ाकू विमानों में होती है एयर रीफ्यूलिंग
किसी खास मिशन पर जा रहे लड़ाकू विमान में वजन कम करने के लिए फ्यूल कई बार कम भरा जाता है ताकि टेकऑफ में दिक्कत न हो. ऐसे में जरूरत पड़ने पर आसमान में उड़ते समय ही उसमें फ्यूल भरा जाता है. विमानों में हवा में ही ईंधन भरने को एरियल रीफ्यूलिंग, एयर रीफ्यूलिंग, इन फ्लाइट रीफ्यूलिंग (IFR) या एयर टू एयर रीफ्यूलिंग (AAR) कहा जाता है. जिस विमान से ईंधन भरा जाता है, उसे टैंकर प्लेन कहते हैं.
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कब हुई उड़ती फ्लाइट में फ्यूल खत्म होने की घटना?
ऐसी घटना 1983 में हो चुकी है, जब विमान के दाहिने इंजन से हो रही लीकेज को पायलट समझ नहीं पाए थे. कनाडा के टोरेंटो शहर से पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन के लिए एक प्लेन ने उड़ान भरी थी. इस फ्लाइट का नंबर 236 (Flight 236) था. अटलांटिक महासागर के ठीक ऊपर 39 हजार फीट की ऊंचाई पर पायलट को ये एहसास हुआ था कि प्लेन में ईंधन खत्म हो रहा है. ऐसे में पायलट ने लाजेस नाम के एक द्वीप पर बना एक मिलिट्री एयर पोर्ट पर लैंडिग की योजना बनाई.
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रनवे पर बॉल की तरह उछला था विमान
पायलट कैप्टन रॉबर्ट पिशे ने अपनी सूझबूझ के साथ मौका देखकर उन्होंने प्लेन को रनवे पर उतार दिया. हालांकि फ्यूल खत्म होने के कारण प्लेन रनवे से टकराकर एकदम बॉल की तरह उछला था और फिर नीचे आया था. वहीं तेज स्पीड के कारण उसके पहिये फट गए और बॉडी में दरार आ गई थी. हालांकि उसमें बैठे लोगों को सुरक्षित उतार लिया गया था. सिर्फ 16 लोगों को मामूली चोटें आई थीं. इस घटना ने कैप्टन रॉबर्ट पिशे को रातों-रात हीरो बना दिया था.
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