वैसे तो हिंदू धर्म में सभी पूर्णिमा और अमावस्‍या तिथियों को बहुत खास माना गया है. लेकिन पौष के महीने की अमावस्‍या और भी विशेष मानी जाती है. अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से ये साल की आखिरी अमावस्‍या होती है जो ज्‍यादातर दिसंबर के महीने में पड़ती है. वहीं हिंदू कैलेंडर के हिसाब से देखें तो पौष साल का 10वां महीना होता है. अमावस्‍या तिथि पितरों के निमित्‍त कर्म करने के लिए उत्‍तम मानी जाती है. लेकिन पौष का पूरा महीना ही  पितरों के श्राद्ध कर्म और पिंडदान आदि के लिए श्रेष्‍ठ माना गया है. ऐसे में पौष के महीने में पड़ने वाली अमावस्‍या अन्‍य माह की तुलना में कहीं ज्‍यादा खास मानी जाती है. आज 23 दिसंबर को पौष अमावस्‍या है. यहां जानिए इस दिन से जुड़ी जरूरी बातें.

लघु पितृ पक्ष कहलाता है पौष का महीना

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ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र की मानें तो धार्मिक रूप से पौष का महीना भगवान विष्‍णु की पूजा के लिए समर्पित माना गया है. पितरों की शांति, मुक्ति आदि के लिए इस महीने में श्राद्ध कर्म, स्नान-दान और पितरों के निमित्त तर्पण किए जाते हैं. यही कारण है इस महीने को लघु पितृ पक्ष भी कहा जाता है. ऐसे में इस महीने में पड़ने वाली अमावस्‍या को वही महत्‍व दिया जाता है जो पितृ पक्ष अमावस्‍या को प्राप्‍त है. इसे मिनी पितृ पक्ष अमावस्‍या भी कहा जाता है.

अमावस्‍या शुभ मुहूर्त

पौष अमावस्‍या वैसे तो 22 दिसंबर शाम 7 बजकर 14 मिनट से शुरू हो चुकी है और आज 23 दिसंबर को शाम 3 बजकर 47 मिनट तक रहेगी. लेकिन उदया तिथि के हिसाब से अमावस्‍या तिथि आज मानी जाएगी. इसके अलावा आज शुक्रवार 23 दिसंबर 2022, को दोपहर 01 बजकर 42 मिनट से वृद्धि योग शुरू होगा, जिसका समापन 24 दिसंबर 2022, सुबह 09 बजकर 27 मिनट पर होगा. इस योग में शुभ काम करने चाहिए. जो भी काम इस योग में किए जाते हैं, उनके बीच आ रहीं रुकावटें दूर होती हैं और उन कार्यों की जीवन में वृद्धि होती है. इसके अलावा अमावस्‍या के दिन किया जाने वाला स्‍नान, दान, तर्पण आदि भी आज ही करना चाहिए.

आज के दिन करें ये काम

आज के दिन स्‍नान के बाद भगवान विष्‍णु की पूजा करनी चाहिए. पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करें. इसके अलावा पितरों के निमित्‍त दान करना चाहिए. गीता का पाठ करें. गीता का पाठ करने से पितरों को शांति मिलती है. इसके अलावा अगर संभव हो तो पीपल का पौधा लगाएं. जल में मीठा डालकर पीपल पर अर्पित करें और दीपक जलाएं. साथ ही पितरों की मुक्ति के लिए प्रभु से प्रार्थना करें.

 

 

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